इंजीनिरिंग पास आउट कपिल ने पर्यावरण और ऐसे बच्चों को जब भीख मांगते देखा तो उन्होंने इन्हें पढ़ाने का फैसला लिया। धीरे-धीरे उनके साथ उनके और साथी भी जुड़ते गए। जो रोजान या सप्ताह में एक बार बच्चों को पढ़ाने आते हैं। शहर में कई स्लम एरिया में इन लोगों बच्चों को पढ़ाकर उनका सरकारी स्कूल में एडमिशन भी करवाया। जिस कारण अब बड़ी संख्या में इन इलाकों के बच्चे अब स्कूल जा रहे हैं। कपिल और उनकी टीम का मकसद इन्हें समाज का अच्छा नागरिक बनाना है।
खुली कालोनी के बीच ये पाठशाला चलती है, यहां पब्लिक स्कूल की तरह वेल मेंटेन बच्चे तो नहीं आते। लेकिन खुद बैठने के लिए दरी बिछाना और सलीके से अपनी चप्पलें लगाना अच्छा लगा। यही नहीं टूटी-फूटी ही सही अंग्रेजी कुछ कवितायें इन बच्चों ने भी याद कर लीं हैं। जब मौजूदा दौर में हर कोई अपने बारे में सोचता है तब इस तरह की कोशिश देखने में जरुर अच्छी लगती है। टीम पत्रिका ने भी कपिल की टीम को बधाई दी और शायद कपिल को ही देखकर कुछ लोग जरुर बदलेंगे।