scriptPitra Visarjan 2019: पितृ पक्ष में इस भय के कारण यूपी के इस गांव में ब्राह्मणों का प्रवेश है वर्जित | Pitra visarjan 2019 brahmin not allowed this village during pitra paks | Patrika News

Pitra Visarjan 2019: पितृ पक्ष में इस भय के कारण यूपी के इस गांव में ब्राह्मणों का प्रवेश है वर्जित

locationमुरादाबादPublished: Sep 21, 2019 10:11:16 am

Submitted by:

jai prakash

Highlights

गांव में सदियों से चली आ रही परम्परा
लोगों को सताता है अनजाना डर
गांव में कोई भी परम्परा तोड़ने की नहीं करता हिम्मत

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जय प्रकाश@पत्रिका

संभल: पितृपक्ष में दिवंगत प्रिय जनो की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध कर्म और दान पुण्य करने की परम्परा है। लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जनपद की गुन्नौर तहसील में भक्ता नगला एक ऐसा गांव है। जिसमें पितृ पक्ष के दिनों में दिवंगत पूर्वजों के श्राद्धकर्म दान-पुण्य करने न करने की अजीबो गरीब परम्परा वर्षों से चली आ रही है। यही नहीं सम्भल के इस गांव में पितृ पक्ष के दिनों में ब्राहम्णो के प्रवेश पर पूर्ण पाबंदी है। इस अजीवो गरीब परम्परा का भय इतना अधिक है कि पितृ पक्ष के दिनों में आसपास के गांवो के ब्राह्मण इस गांव में प्रवेश नहीं करते।

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लोगों में है भय

इस अजीबो गरीब पम्परा वाले भक्ता नगला गांव में रह रहे ब्राह्मणो के गिने चुने परिवारो के लोग पितृ पक्ष के दिनों में अपने घर से बाहर नहीं निकलते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि भक्ता नगला गांव में पितृ पक्ष के दिनों में ब्राह्मणो के प्रवेश पर पावंदी और श्राद्ध कर्म न करने की परम्परा उनके पूर्वजो के समय से चली आ रही है। अगर गांव में किसी ग्रामीण ने श्राद्ध कर्म करने या दान पुण्य करने की कोशिश की तो उसे भारी नुक्सान उठाना पड़ा।

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ये है कहानी

बुजुर्ग हरस्वरूप,उदयवीर , मटरू इस अजीबो-गरीब परम्परा के सन्दर्भ बताते है की उनके पूर्वज बुजुर्गो के अनुसार वर्षों पहले पितृ पक्ष के दिनों में श्राद्ध कर्म के दौरान किए जाने बाले दान को लेने के लिए नजदीक के गांव के एक ब्राह्मण की पत्नी भक्ता नगला गांव में आती थी। एक बार पितृ पक्ष में अधिक बरसात होने पर ब्राह्मण की पत्नी रात में भक्ता नगला गांव में ठहर गई। अगले दिन जब अपने गांव पहुंची तो ब्राह्मण ने उसके रात में भक्ता नगला गांव में ठहरने पर नाराजगी जताते हुए घर से निकाल दिया।

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लिया था वचन

कहा जाता है की ब्राह्मण द्वारा घर से निकाले जाने के बाद ब्राह्मण की पत्नी बापस भक्ता नगला गांव पहुंची और गांव के ग्रामीणों से वचन लिया की आज के बाद बह पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म ,और दान पुण्य नहीं करेंगे , न ही पितृ पक्ष के दिनों में ब्राह्मणो को गांव में प्रवेश ही करने देंगे। बताते हैं ग्रामीणों से यह वचन लेने के बाद ब्राह्मण की पत्नी ने आत्महत्या कर ली। उसके बाद से भक्ता नगला गांव में श्राद्ध कर्म ,दान पुण्य न करने और गांव में ब्राह्मणो के प्रवेश के पावंदी की यह अजीवो गरीव परम्परा चली आ रही है।

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