केंद्रीय मंत्री से मिलने हजारों किसान निकले दिल्ली की ओर, बॉर्डर पर पुलिस तैनात
लोगों में है भय
इस अजीबो गरीब पम्परा वाले भक्ता नगला गांव में रह रहे ब्राह्मणो के गिने चुने परिवारो के लोग पितृ पक्ष के दिनों में अपने घर से बाहर नहीं निकलते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि भक्ता नगला गांव में पितृ पक्ष के दिनों में ब्राह्मणो के प्रवेश पर पावंदी और श्राद्ध कर्म न करने की परम्परा उनके पूर्वजो के समय से चली आ रही है। अगर गांव में किसी ग्रामीण ने श्राद्ध कर्म करने या दान पुण्य करने की कोशिश की तो उसे भारी नुक्सान उठाना पड़ा।
Dussehra से पहले बैंकों में हाेने जा रही है हड़ताल, केवल तीन दिन खुलेंगे बैंक
ये है कहानी
बुजुर्ग हरस्वरूप,उदयवीर , मटरू इस अजीबो-गरीब परम्परा के सन्दर्भ बताते है की उनके पूर्वज बुजुर्गो के अनुसार वर्षों पहले पितृ पक्ष के दिनों में श्राद्ध कर्म के दौरान किए जाने बाले दान को लेने के लिए नजदीक के गांव के एक ब्राह्मण की पत्नी भक्ता नगला गांव में आती थी। एक बार पितृ पक्ष में अधिक बरसात होने पर ब्राह्मण की पत्नी रात में भक्ता नगला गांव में ठहर गई। अगले दिन जब अपने गांव पहुंची तो ब्राह्मण ने उसके रात में भक्ता नगला गांव में ठहरने पर नाराजगी जताते हुए घर से निकाल दिया।
मेरठ के बाद अब यहां गुस्साए बिजली विभाग के कर्मचारियों ने लिया बदला, 11 गांव की एक साथ काट दी बिजली
लिया था वचन
कहा जाता है की ब्राह्मण द्वारा घर से निकाले जाने के बाद ब्राह्मण की पत्नी बापस भक्ता नगला गांव पहुंची और गांव के ग्रामीणों से वचन लिया की आज के बाद बह पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म ,और दान पुण्य नहीं करेंगे , न ही पितृ पक्ष के दिनों में ब्राह्मणो को गांव में प्रवेश ही करने देंगे। बताते हैं ग्रामीणों से यह वचन लेने के बाद ब्राह्मण की पत्नी ने आत्महत्या कर ली। उसके बाद से भक्ता नगला गांव में श्राद्ध कर्म ,दान पुण्य न करने और गांव में ब्राह्मणो के प्रवेश के पावंदी की यह अजीवो गरीव परम्परा चली आ रही है।