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इसलिए पीएम को भाए सलमान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सलमान का नाम यूं ही मन की बात में नहीं लिया । सलमान हमीरपुर गांव की प्रधान हुस्न जहां के बेटे हैं। दोनों पैरें से दिव्यांग सलमान ने पढ़ाई के बाद जब नौकरी की तलाश शुरू की, तो उनकी दिव्यांगता के कारण हर जगह से उपेक्षा मिली। समाज के इस चेहरे ने सलमान को झकझोरा तो जरूर, लेकिन हरा नहीं पाया। दिसंबर 2019 में उन्होंने नौकरी के लिए हाथ फैलाने के बजाय अपने जैसे दिव्यांगों को नौकरी देने की ठानी। सलमान ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और अपने जैसे दूसरे लोगों का सहारा बन गया। इसके लिए उन्होंने अपने गांव में पांच लाख रुपये लगाकर किराए के मकान में टारगेट नाम की कंपनी खोली। चप्पल और डिटर्जेंट बनाने का काम शुरू कर दिया। छह महीने पहले से सलमान ने मार्केटिंग शुरू की।
और बढ़ाने की इच्छा
अब उनका कारोबार साथियों का वेतन निकालकर लाभ में पहुंच गया है। उनके कारखाने में अब तक 30 दिव्यांग रोजगार से जुड़ गए हैं। उनहें स्वरोजगार भी सिखाया जा रहा है, ताकि वे आत्मनिर्भर हो सकें। सलमान की कोशिश इसे और बढ़ाने की है ताकि और भी दिव्यांगों को काम मिल सके।
लोन भी हो गया पास
ग्रामीणों ने बताया कि एक सप्ताह पहले पीएमओ ने मुरादाबाद के अधिकारियों से सलमान के बारे में जानकारी मांगी थी। सलमान लंबे समय से फैक्ट्री के लिए लोन मांग रहे थे, लेकिन लोन पास नहीं हो पा रहा था। कुछ दिनों पहले अधिकारी उनके घर पहुंचे और लोन मंजूर होने की जानकारी दी। सलमान की मां हमीरपुर की वर्तमान प्रधान हैं। उनसे पहले सलमान के पिता मोहम्मद अच्छन इस गांव के प्रधान रहे हैं।