कई युवा संवार रहे अपना भविष्य इस योजना से लाभ लेने वालों में सिविल लाइन थाना क्षेत्र के ग्राम लोधीपुर की रहने वाली दिव्यांग नीतू और सौम्य सिंह भी शामिल है। नीतू और सौम्य सिंह के पास काम करने की सोच और हिम्मत थी। लेकिन, जो नही था वो था पैसा। लेकिन, एक दिन पूनम और सौम्य सिंह को प्रथमा बैंक के बैंक मित्र से प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। जिसके बाद जब उन्होंने बैंक में योजना का लाभ के लिये आवेदन किया, तो उन्हें बिना गारंटी और बिना किसी दिक्कत के आसानी से 25 हजार का लोन मिल गया। योजना के तहत 25 हजार मिलने के बाद से दिव्यांग नीतू ने अपने घर में किराने की दुकान और सौम्य सिंह ने चाट पकौड़ी के दुकान की शुरुआत की। आज दोनों की ही दुकानें अच्छी तरह से चल रही है। दोनों लाभार्थियों के सपने पूरे हो रहे हैं। नीतू कहती हैं प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आत्मनिर्भर और सम्मान दिलवाने वाली योजना है। योजना की बदौलत दिव्यांग होने के बाबजूद बह अब किसी की मोहताज नहीं रही और अपने पैरों पर खड़े होकर एक अच्छी जिंदगी बिता रही हैं। उनका कहना है कि वह सरकार को इस योजना के लिए तहे दिल से धन्यवाद कहती हैं। वहीं, महत्वाकांक्षी योजना के चलते अपने पैरों पर खड़े हुए सौम्य सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से उनके सपने पूरे हो रहे हैं। सरकार की ये बहुत अच्छी योजना है ।
अब तक 220 करोड़ का ऋण हो चुका है वितरित वहीं, प्रथमा बैंक के चेयरमैन एम एस अरोड़ा का कहना है कि मुद्रा योजना के तहत बैंक इस साल 220 करोड़ का ऋण वितरण कर चुकी है। बैंक इस योजना को लेकर लोगों के बीच जा रही है। इसी का परिणाम है की बैंक ने अब तक इतना ऋण दे दिया है। उनका कहना है कि यहां छोटे संगठन, कम्पनियां और स्टार्टअप भारत में इंटरप्रेंयूर्स हैं। इन्हें सामूहिक रूप से सूक्ष्म इकाई माना जाता है। इनके लिए यह महसूस किया गया है कि इन इकाइयों में वित्तीय समर्थन में कमी है। यदि इन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाए तो उनमें अभी की तुलना में वृद्धि हो सकती है। चेयरमैन ने बताया कि मुद्रा का पूरा नाम “माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड”है, यह एक संस्था है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि मुद्रा बैंक मन में केवल एक ही लक्ष्य के साथ स्थापित की गई है, वह है छोटे व्यवसायियों के सभी धन की जरूरतों को पूरा करना।