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आई एम ए के प्रदेश सचिव डॉ राजेश सिंह ने झंडी दिखाकर रैली की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि ये बिल न सिर्फ डॉक्टरों के लिए अहितकारी बल्कि मरीजों और आम लोगों के साथ साथ जो गरीब तबके के छात्र मेडिकल की पढाई करना चाहते हैं। उन्हें भी दिक्कत होगी। इससे मेडिकल की पढाई काफी महंगी हो जाएगी और सरकार को वंचित तबके के मौका देने की बात अधूरी रह जाएगी। उनके मुताबिक इस बिल के बाद कोई भी व्यक्ति छह महीने की डिग्री या सर्टिफिकेट लेकर डॉक्टर बन जायेगा। जो न मरीजों के लिए हितकारी होगा और न समाज के लिए। इसलिए लोगों को भी जागरूक करने के लिए ये रैली निकाली जा रही है।
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इस बिल में जिन बातों पर आपत्ति जताई गयी है। उनमें निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी सीटें भी निजी कॉलेज देने की बात है। जबकि अभी हर राज्य का एक डॉक्टर प्रतिनिधि होता है। लेकिन इस बिल के बाद सिर्फ पांच राज्यों के ही प्रतिनिधि होंगे जो पूर्णतया गलत होगा। इस बिल के बाद मेडिकल शिक्षा गैर मेडिकल शिक्षा देने वालों के पास चली जाएगी।
इसके साथ ही एक ज्ञापन भी भारत सरकार को भेजा गया है। जिसमें डॉक्टरों ने सभी मुद्दों को इंगित करते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया है। इस दौरान बड़ी संख्या में प्राइवेट डॉक्टर मौजूद रहे।