फांसी की सजा मिली
यहां बता दें कि Shabnam अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली थी। उसने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने मां-बाप और एक मासूम सहित सात लोगों की हत्या की थी। वारदात को 14/15 अप्रैल 2008 की रात को अंजाम दिया गया था। इस मामले में सेशन अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले प्रेमी सलीम आगरा जेल में बंद है जबकि शबनम पिछले ग्यारह सालों से मुरादाबाद में सजा काट रही है। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट से सजा खारिज होने के बाद पुनर्विचार याचिका दाखिल कर रखी है। जिस पर अभी सुनवाई नहीं हुई है।
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पहली महिला होगी
जेल में ही Shabnam ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसे पांच साल पूरा होने के बाद उसे नियमों के हिसाब से गोद देना पड़ा। जिसे उसके बुलंदशहर के दोस्त ने गोद लिया हुआ है। अगर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय शबनम के पक्ष में नहीं आता है तो शबनम देश में पहली महिला होगी जिसे फांसी दी जाएगी।
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इन्हें भी किया शिफ्ट
जेल में बंद महिला कैदी Shabnam, विदुषी त्यागी, मधु, नरैनिया, कुसुम, आरती शर्मा, जीनत, यासमीन, रुकसाना, नईमा, लज्जावती, साधना, मुन्नी, नफीसा व रानी को मुरादाबाद जेल से रामपुर जेल में भेजा गया है। इन महिलाओं के साथ ही जेल में रह रहे तीन बच्चों को भी रामपुर जेल भेजा गया है।