ये है मान्यता
पंकज वशिष्ठ के मुताबक मान्यता है कि यही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। कहा जाता है कि श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने 16 कलाओं के साथ जन्म लिया था, जबकि भगवान राम के पास 12 कलाएं थीं। बहरहाल, शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्मी (Laxmi Puja) और विष्णु जी की पूजा का विधान है। साथ ही शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात खीर (Kheer) बनाकर उसे आकाश के नीचे रखा जाता है फिर 12 बजे के बाद उसका प्रसाद गहण किया जाता है। मान्यता है कि इस खीर में अमृत होता है और यह कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा तिथि: रविवार, 13 अक्टूबर 2019
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 13 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट
पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद ईष्ट देवता की पूजा करें।
फिर भगवान इंद्र और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
अब धूप-बत्ती से आरती उतारें।
संध्या के समय लक्ष्मी जी की पूजा करें और आरती उतारें।
अब चंद्रमा को अर्घ्य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आारती करें। फिर उपवास खोल लें।
रात्रि 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें।