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पत्रिका विशेष: लॉकडाउन में नहीं मिली रोटी तो नदी के काले पानी में सिक्के ढूंढने को मजबूर सोनू

locationमुरादाबादPublished: Apr 06, 2020 12:35:09 pm

Submitted by:

jai prakash

Highlights-रोज भाई के साथ रामगंगा के केमिकल युक्त पानी में उतराता है सोनू-दिहाड़ी मजदूरी करने वाले युवक के परिवार में हैं आधा दर्ज लोग-लॉडाउन के बाद परिवार के सामने आ गया रोजी—रोटी का संकट

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जय प्रकाश@पत्रिका

मुरादाबाद। पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारी से जूझ रही है। देश में इससे निपटने के लिए 22 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू और फिर उसके बाद 21 दिन का लॉकडाउन कर दिया गया है। इससे निश्चित रूप से इस महामारी से निपटने में कुछ उम्मीद तो मिल रही है, लेकिन लॉकडाउन के इस दौर में कई ऐसी दर्द भरी कहानियां सामने आ रहीं हैं, जिसमें विकास के दावों की पोल खुल रही है।

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धूप में भी कांप रहा था सोनू

खासकर उस तबगे के लिए ये लॉकडाउन एक बड़ा कहर बनकर उभर रहा है, जिनके घर का चूल्हा रोज की मजदूरी से जलता था। अब ऐसे परिवारों के सामने विकल्प बहुत सीमित हो गए हैं। कुछ ऐसी ही तस्वीर रविवार को शहर की रामगंगा नदी के किनारे देखने में आई। यहां एक 30—35 साल का युवक अपने छोटे भाई के साथ नदी के काले पानी में गर्दन तक डूबकर परिवार के लिए रोटी का इंतजाम कर रहा था। डेढ़—दो घंटे से वह केमिकल युक्त काले पानी से कीचड़ निकाल रहा था जबकि उसका भाई किचड़ में हाथ डालकर सिक्के ढूंढ रहा था। युवक की हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब वह पानी से बाहर निकला तो धूप में भी कांप रहा था।

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कटघर के रामगंगा तट पर पहुंचता है भाई के साथ

इस युवक का नाम सोनू है। लॉकडाउन के बाद से वह रोज यहां अपने छोटे भाई के साथ आता है और काले पानी में गर्दन तक डूबकर परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करता है। रामगंगा के ठंडे और केमिकल वाले पानी में परिवार के लिए अपने छोटे भाई के साथ रोटी की खोज कर रहे सोनू ने हैरानी में डाल दिया। मेहनत मजदूरी करने वाले सोनू को भी लॉकडाउन ने ऐसे हालात पर लाकर खड़ा कर दिया कि परिवार के आगे रोटी के लाले पड़ने लगे हैं। बच्चों के खाने के लिए किसके आगे हाथ फैलाया जाए, यहीं सोच लेकर सोनू कटघर के रामगंगा तट पर पहुंचता है और नदी में उतर जाता है।

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कभी 50 तो कभी 150 युवक मिल रहे

वह रामगंगा के पानी में उतरकर श्रद्धालुओं द्वारा नदी में अर्पित किये गए सिक्कों की तलाश कर रहा है। सोनू पहले तो गहरे पानी से कीचड़ निकालकर लाता है। फिर दोनों भाई उसमें से लोगों द्वारा रामगंगा में अर्पित किये गए सिक्के और अन्य वस्तुएं निकालते हैं। सोनू ने बताया कि बस इन्ही सिक्कों से ही उसके घर का चूल्हा जल रहा है। उसे कभी 50 रुपये, कभी 100 तो कभी 150 रुपये मिल जाते हैं। इससे उसके घर में रोटी बन जाती है। दोनों भाई में से पहले एक नदी में बीच में जाकर कीचड़ और रेत निकालकर किनारे लाता है। फिर उसमें से सिक्के ढूंढकर अलग करता है।

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रोटी का एकमात्र जरिया है यह

उनके मुताबिक, परिवार के आधा दर्जन लोगों के लिए रोटी का यही मात्र एक जरिया है। सोनू का कहना है कि वह और उसका भाई दिहाड़ी पर मजदूरी करने जाते थे। लॉकडाउन के चलते अब सब बंद है। परिवार के लिए कुछ तो करना था, तो वह नदी में से सिक्के निकालकर परिवार का गुजारा कर रहा है। सोनू का वीडियो देखने के बाद सोमवार को पत्रिका टीम ने सोमवार को उसे दसवां घाट और उसके आसपास तलाशने की कोशिश की गई, लेकिन उसका पता नहीं चल सका।

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