मेरठ में मिले 14 जमातियों की कोरोना रिपोर्ट आयी निगेटिव, तीन दिन तक क्वारंटाइन में रहेंगे
खुद बनाने का किया फैसला
यहां बता दें कि छजलैट थाना क्षेत्र के नजराना गांव में रहने वाली शोभा गांव की लड़कियों और महिलाओं के लिए स्वंय सहायता समूह चलाती है। समूह के जरिये सिलाई-कड़ाई, मधुमक्खी पालन, खेती के गुर लड़कियों को सिखाया जाता है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते देश में लॉक डाउन घोषित हुआ तो शोभा के महिला समूह ने भी लोगों को मदद करने की ठानी। एक एनजीओ की मदद से शोभा और उसके साथ कि लड़कियां हर रोज हजारों मास्क तैयार कर रहीं है। मास्क बनाने का काम लड़कियां शोभा के घर पर करती है, लेकिन सोशल डिस्टेंस का पालन करने के लिए कुछ लड़कियों को घरों में मास्क बनाने का काम सौंपा गया है। मास्क बनाने से पहले सभी लड़कियों के हाथ सेनेटाइजर से साफ किये जाते हैं और फिर मास्क बनाने का काम शुरू किया जाता है। मास्क बनाने के लिए कपड़े और डिस्पोजल पेपर का इस्तेमाल किया जाता है और मास्क जरूरतमन्दों को वितरित किये गए है।
पत्रिका विशेष: स्कूल-कॉलेज बंद होने के बाद स्कूलों ने इस तरह शुरू की पढ़ाई
मांग को देखते हुए लिया फैसला
एकाएक लॉकडाउन होने और मांग के अनुरूप मास्क उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जिस कारण अब कई एनजीओ को इस तरह के काम दिए गए हैं। जिसमें नजराना और शोभा जैसे गांव की लड़कियों की जिम्मेदारी लेने की आदत ने सबको बल दिया है कि हम जल्द इस लड़ाई को जीत लेंगे।