इस प्रकरण की अपर आयुक्त के द्वारा की गई जांच में किराया वसूली के लिए लगाए गए प्रपत्र फर्जी मिले हैं। जबकि, किराए भरने के लिए आदेश करने वाला भी कूट रचित माना जा रहा है। इस प्रकरण में एसएसपी द्वारा पहले ही प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है। जांच के आधार पर न्यायालय में अपना पक्ष रखेगी। साथ ही पुलिस अपने स्तर पर कार्रवाई करेगी।
कमिश्नर तक पहुंचा था मामला
आवास के सरकारी आवास से किराया वसूले जाने के प्रकरण कमिश्नर के पास पहुंचा था। इसके बाद उन्होंने इस प्रकरण को डीएम के पास भेजा था। डीएम इस प्रकरण में जांच की आवश्यकता बताते हुए संदर्भित किया था। कमिश्नर ने अपर आयुक्त सर्वेश गुप्ता के नेतृत्व में चार सदस्यीय एसआइटी गठित कर जांच कराई। अपर आयुक्त ने जांच पूरी कर रिपोर्ट कमिश्नर को सौंप दी। इसमें राजस्व विभाग के साथ पुलिस विभाग के कर्मी भी कार्रवाई के दायरे में आ गए है।
एसआईटी ने मालिकाना हक जानने का किया प्रयास (Moradabad SSP House)
एसआईटी ने यह पता लगाने का प्रयास किया कि पहले तो किराया नहीं जा रहा था फिर अचानक से दावा कैसे हो गया और मालिकाना हक का दावा करने वाले को सही कैसे मान लिया। मालिकाना हक का दावा करने के लिए लगाए गए प्रपत्रों की जांच हुई या नहीं। राजस्व विभाग में जमीन किसने के नाम पर दर्ज है किरायानामा किन लोगों ने तैयार किया। जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि जो भी प्रपत्र लगाए गए हैं, उनकी विभागीय पुष्टि नहीं हो रही है और अधिकतर के कूट रचित होने की संभावना है। पुलिस विभाग ने भी इनकी जांच करने की जरूरत नहीं समझी। इससे स्पष्ट है कि यह कारनामा मिलीभगत से हुआ है।
एसएसपी का आदेश लखनऊ से भेजा गया
एसएसपी बंगले का किराया कोर्ट के माध्यम से निर्धारित हुआ था। किराया निर्धारित किए जाने के बाद उसका काउंटर भी दाखिल नहीं किया गया। इसके साथ ही किराया भरने के लिए एसएसपी ने भी आदेश कर दिए। हालांकि, किराया देने का आदेश जिन कप्तान का है, वह उस समय मुरादाबाद में नहीं थे। उनके आदेश लखनऊ से दिखाया गया है। इससे उसके कूट रचित होने की पूरी संभावना है।
पांच हजार रुपये महीना किराया देने की कही बात
कोर्ट ने कहा कि दावा करने वाले को पांच हजार रुपये महीना किराया देने का किराया दिया जाए या उसे खाली किया जाए। तत्कालीन अधिकारियों ने बंगला खाली नहीं कराने के लिए डीजीसी सिविल से काउंटर दाखिल कराया। इसमें कहा कि वह किराया भरने के लिए तैयार हैं। किराया मिलना शुरू होने के बाद संजय धवन ने बंगले में 20 से अधिक कमरे बताकर किराया बढ़ाने के लिए फिर से वाद दायर कर दिया। इसमें भी विभागीय लापरवाही के कारण एकतरफा आदेश हो गया। इस बार किराया बढ़ाकर 51 हजार कर दिया। संपत्ति के बारे में सच पता लगने पर छह महीने पहले तत्कालीन एसएसपी हेमराज मीणा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 2024 में तत्कालीन एसएसपी हेमराज मीणा को किराए का प्रकरण सामने आने पर शक हुआ। उन्होंने संजय धवन से मालिकाना हक के दस्तावेज मांगकर जांच कराई। संजय धवन ने एसएसपी को 1903 की उर्दू भाषा की एक रजिस्ट्री दिखाई। जांच कराने पर रजिस्ट्री विभाग में इसका कोई उल्लेख नहीं मिला। जांच में रजिस्ट्री विभाग, नगर निगम और रेवेन्यू रिकार्ड में कहीं भी संजय धवन के पास इस बंगले के मालिकाना हक का टाइटल नहीं निकला।
मुरादाबाद एसएसपी आवास के बदले कई मालिक (Moradabad SSP House)
जांच में पता लगा कि ब्रिटिश काल में एसएसपी बंगले की संपत्ति मुस्लिम परिवार की थी, जिसे उस समय एसएसपी आवास (Moradabad SSP House) के लिए दिया था। 1903 में शाहू हरगुलाल ने अकबरी बेगम से इस संपत्ति को खरीदा था। इसके बाद ये संपत्ति उनके बेटे श्रीनाथ के पास गई। संजय धवन खुद को इसी परिवार का वंशज बताकर दावा किया था। मामले को गंभीरता से लेकर एसएसपी ने सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। विवेचक निरीक्षक राजेंद्र सिंह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग से जमीन से संबंधित प्रपत्र इकट्ठे करके जांच कर रहा हूं। कुछ प्रपत्र मिल भी गए हैं। जल्द ही इस मामले में आगे की कार्रवाई होगी।