दरअसल, मुरैना जिले के पढ़ावली निवासी राम सेवक माहौर ने कलेक्टर जनसुनवाई में इसकी शिकायत की है। माहौर ने बताया कि उसकी बेटी का विवाह नहीं हुआ है। लेकिन गांव के लोगों ने बताया कि कागजों में कर्मचारियों ने संतोष शर्मा नाम के व्यक्ति से मेरी बेटी की शादी करवा दी है। साथ ही शासन से मिलने वाले ढाई लाख रुपये की निकासी भी कर ली गई है।
साल 2015 में हुए इस विवाह में सामाजिक न्याय विभाग के बाबू बृजभूषण शर्मा, बैंक मैनेजर और अन्य संस्था वालों पर आरोप लगाए गए हैं। इस पर कलेक्टर के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है। वहीं सामाजिक न्याय विभाग के बाबू बृजभूषण शर्मा का कहना है कि संतोष शर्मा की शादी तो हुई और जिस लड़की का नाम बताया जाया रहा है, वहीं उसमें उसकी पत्नी लिखी है। लेकिन फोटो दूसरा है, इसलिए इसकी जांच कराई जा रही है।
और भी हो सकते हैं मामले
इस तरह की शिकायत आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है। साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या कर्मचारियों और अफसरों ने इस तरह की और घटनाओं को भी अंजाम दिया है। जिसमें फर्जी नामों के जरिए प्रोत्साहन राशि की निकासी हुई है। हालांकि शिकायत अभी तक एक ही पहुंचा है। लेकिन इस मामले की प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।
क्या हैं नियम
अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए ही मध्यप्रदेश सरकार डॉ सविता बेन अंबेडकर अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना चलाती है। इस योजना का संचालन अनुसूचित जाति विभाग के द्वारा किया जाता है। इस योजना के तहत पति-पत्नी को दांपत्य जीवन के लिए ढाई लाख रुपये मध्यप्रदेश सरकार देती है। यह राशि दोनों के संयुक्त खाते में आठ साल के लिए फिक्स डिपोजिट कर दी जाती है। इसलिए शादी के बाद दंपत्ति के नाम पर ज्वाइंट अकाउंट होने चाहिए। इसके लाभुक मध्यप्रदेश के स्थाई निवासी हों। उनकी उम्र 35 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही दंपत्ति के ऊपर किसी भी तरह का कोई आपराधिक मुकदमा नहीं हो। विवाह का सर्टिफिकेट अनिवार्य है।