scriptचंबल पार करने लगाना पड़ेगा 150 किमी का चक्कर | 150 km to cross Chambal | Patrika News

चंबल पार करने लगाना पड़ेगा 150 किमी का चक्कर

locationमोरेनाPublished: Oct 11, 2019 04:44:30 pm

समय पर चालू नहीं हो सकेगा पांटून पुलटेण्डर खुलने के बाद राज्य शासन से स्वीकृति मिलने का इंतजार

चंबल पार करने लगाना पड़ेगा 150 किमी का चक्कर

अटार घाट पर पांटून पुल के लिए रखे पीपे।

सबलगढ़. चंबल के अटार घाट पर इस बार पांटून पुल समय पर नहीं बांधा जा सकेगा, क्योंकि पुल के संचालन के लिए ठेका संबंधी औपचारिकताएं अभी शासन स्तर से पूरी नहीं हो सकी हैं। ऐसे में अंचल के हजारों लोगों को राजस्थान पहुंचने और वहां के लोगों को इधर आने के लिए फिलहाल लंबा रास्ता ही तय करना पड़ेगा।
अटार घाट पर इस वक्त तक पांटून पुल बांध लिया जाना चाहिए था, क्योंकि इस पर आवागमन शुरू करने के लिए 15 अक्2टूबर की तिथि निर्धारित है, लेकिन इस बार पांटून पुल बांधने की शुरूआत नहीं हो सकी है, क्योंकि इसके लिए शासन स्तर से मंजूरी नहीं मिली है। दरअसल अटार घाट पर पांटून पुल बांधने का ठेका पांच साल के लिए दिया जाता है। पिछले वर्ष पांच साल की अवधि खत्म होने के बाद इस वर्ष नया ठेका देने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। खबर है कि टेंडर खोले भी जा चुके हैं। जिस एजेंसी को यह ठेका मिला है, उसे काम की स्वीकृति देने का प्रस्ताव शासन स्तर को भेज दिया गया है, लेकिन अभी वहां से मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए जिला स्तर से लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदार को कार्यादेश जारी नहीं किया। इस लिहाज से इस वर्ष पांटून पुल निर्धारित समय पर शुरू होने के आसार नहीं हैं, क्योंकि अभी तो मंजूरी आने में ही कुछ दिन लग सकते हैं। इसके बाद कार्यादेश जारी करने और पांटून पुल बांधने में भी वक्त लगेगा, जबकि 15 अक्टूबर में महज पांच दिन शेष रह गए हैं। हालांकि जिस व्यक्ति को इसका ठेका मिला है, वह पूरी तैयारी में है। पुल बांधने के लिए जरूरी सामान भी अटार घाट पर जुटा लिया गया है।
हजारों लोगों को है इंतजार
चंबल नदी के अटार घाट पर पांटून पुल शुरू होने का इंतजार हजारों लोगों को है, क्योंकि यह व्यवस्था चंबल नदी के आर-पार जाने का सुगम जरिया है। सबलगढ़ क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग चंबल पार करके राजस्थान जाते हैं तो वहां से भी बड़ी संख्या में लोग इधर आते हैं। हालांकि पैदल यात्री तो स्टीमर से चंबल नदी पार कर जाते हैं, लेकिन पांटून पुल शुरू होने के बाद वाहन भी चंबल नदी पार कर जाते हैं।
बचता है कई किमी का फेरा
पांटून पुल बनने के बाद लोगों को राजस्थान पहुंचने और वहां से इधर आने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती। उल्लेखनीय है कि सबलगढ़ से करौली, जयपुर आदि स्थानों तक जाने का यह शॉर्टकट है। इसके विपरीत जब पांटून पुल बंद रहता है तो लोगों को सौ-सवा सौ किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा तय करनी पड़ती है। यही वजह है कि लोगों को पांटून पुल का बेसब्री से इंतजार रहता है। यह सुविधा उन्हें 15 जून तक उपलब्ध रहती है।
डेढ़ माह पहले टेंडर हो चुका है। इसे मंजूरी के लिए भोपाल भेजा गया है। इससे संबंधित बैठक वहां महीने में एक बार होती है। जैसे ही मंजूरी मिलेगी। ठेकेदार को कार्यादेश जारी कर दिया जाएगा। हालांकि यह तो तय है कि इस बार पुल 15 अक्टूबर से चालू नहीं हो सकेगा।
इंद्रपाल सिंह जादौन, कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो