यहां बतासे के लिए लड़ी गईं 200 कुश्तियां, 10 रुपए के लिए 200 जोड़े लड़े
दंगल, चंबल अंचल की सांस्कृतिक परंपरा है। यहां इनाम और राशि से ज्यादा कुश्ती सम्मान के लिए लड़ी जाती है। नई पीढ़ी को दंगल के प्रति आकर्षित करने और प्रोत्साहित करने के लिए यहां एक मु_ी बतासों के लिए भी कुश्तियां लड़ी जाती हैं।
मोरेना
Published: March 26, 2022 08:37:52 pm
-जौटई के 119 साल पुराने दंगल में एक हजार से ज्यादा कुश्तियों में पहलवानों ने दिखाया दमखम
फोटो-२६०३२२मोर-१६-दंगल में कुश्ती देखने आए क्षेत्र के लोग।
१७-अखाड़े में दांव-पेंच आजामते पहलवान।
मुरैना-पोरसा. ग्राम पंचायत जौटई के 119 साल पुराने ऐतिहासिक दंगल में एक हजार से ज्यादा पहलवानों ने अपने दांव-पेंच दिखाए। एक मु_ी बतासे के लिए भी यहां 200 जोड़े कुश्ती लड़े। शनिवार को आयोजित दंगल में खबर लिखे जाने तक 200 रुपए तक की इनाम राशि वाली कुश्तियां लड़ी जा चुकी थीं। 10 रुपए के लिए भी 200 और 50 रुपए के लिए 500 कुश्तियां लड़ी गईं। 100 रुपए के लिए 100 और 200रुपए के लिए 50 कुश्तियां लड़ी जा चुकी हैं। आयोजकों के अनुसार अंतिम मुकाबला देर रात तक हो पाएगा। कोरोना संक्रमण के दौर में दो साल तक बंद रहे दंगल को लेकर इस पर पहलवानों, आयोजकों और स्थानीय लोगों में खासा उत्साह दिखाई दिया। दंगल में रेफरी की भूमिका महेश सिंह तोमर पहलवान, बृजराज सिंह तोमर पहलवान, शैलेंद्र उर्फ शीलू तोमर , शेर सिंह तोमर ने निभाई। अखाड़े में एक साथ चार कुश्तियां लड़ाने की व्यवस्था आयोजकों ने की थी। दंगल आयोजन समिति के अध्यक्ष गिरंद सिंह तोमर, हरि शंकर सिंह तोमर, राम रतन सिंह तोमर ,पूर्व सरपंच मुरारी सिंह तोमर, अतर सिंह तोमर ,राजेंद्र सिंह तोमर, विष्णु सिंह तोमर सरपंच, धर्मेंद्र सिंह तोमर ने विजेता को पुरस्कृत और हारे हुए पहलवान को प्रोत्साहन दिया।
एक व्यापारी की चुनौती से नींव पड़ी थी दंगल की
119 साल पहले एक सरदार अनाज व्यापारी गांव में आया। उसकी पहली मुलाकात चौधरी जगन्नाथ सिंह तोमर से ही हो गई। व्यापारी को अरहर दिखाई, तो व्यापारी ने उसे मसलकर तोड़ दिया और बोला यह तो घुन चुकी है, उपयोगी नहीं है। इससे ताव खाए चौधरी जगन्नाथ ने व्यापारी से रुपया मांगा। व्यापारी ने चांदी का सिक्का दिया, जिसे चौधरी ने हाथ से मोड़कर तोड़ दिया और व्यापारी पर तंज कसा कि यह रुपया भी नकली है। इसके बाद व्यापारी ने चौधरी को सुझाव दिया कि इतने बलशाली लोग हैं यहां तो इसे आगे बढ़ाने के लिए दंगल की शुरूआत क्यों नहीं करते ? चौधरी को यह बात जंच गई और उन्होंने 1904 से ही अखिल भारतीय स्तर का दंगल आयोजन शुरू करवा दिया।
51 हजार की आखिरी कुश्ती विक्रम ने जीती
दंगल में 51 हजार रुपए की आखिरी कुश्ती विक्रम सिंह गोवर्धन ने पंजाब के कमल को हराकर जीती। दंगल में एक हजार रुपए की इनाम के लिए 30 कुश्तियां लड़ी गईं। 11 हजार की तीन, 21 हजार की दो, 31 हजार की 6 कुश्ती, 41 हजार की कुश्ती जोगेन्द्र मुरैना व गौरव भिंड के बीच बराबर रही।

अखाड़े में दांव-पेंच आजामते पहलवान।
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