क्या है निलंबित बाबू पर आरोप
सहरिया आदिवासी विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष मुकेश मल्होत्रा ने अपने पत्र में कहा था कि बाबू ने अनुसूचित जाति बस्ती विकास के निर्माण कार्य सामान्य बस्तियों में करवाए। विद्युतीकरण शाखा के प्रभारी होने के नाते वर्मा ने ठेकेदारों से सांठगांठ कर 17 लाख रुपए से अधिक का सरकारी धन खर्च किया। इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता करार दिया गया है। इसलिए बाबू को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांंग की थी।
3 माह से ज्यादा का समय लगा निलंबन की कार्रवाई में
कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास मप्र से 20 सितंबर को लिखा गया बाबू के निलंबन का पत्र अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में कलेक्टर कार्यालय को प्राप्त हो गया था। इसके बावजूद निलंबन की कार्रवाई करने में 3 माह से अधिक का समय लग गया। 13 दिसंबर को कलेक्टर प्रियंका दास ने बाबू को निलंबित कर मुख्यालय अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय (राजस्व) सबलगढ़ निर्धारित कर दिया है।
जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित निलंबित बाबू की कार्य के प्रति लापरवाही, उदासीनता एवं वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए 3 सदस्यों की समिति का गठन कलेक्टर प्रियंका दास ने किया है। 13 दिसंबर को गठित समिति अपना जांच प्रतिवेदन 15 दिन में कलेक्टर को देगी। समिति में उप महाप्रबंधक मप्र. मक्षे. विद्युत वितरण कंपनी, मुरैना को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि जिला कोषालय अधिकारी व कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुरैना को सदस्य नियुक्त किया गया है।