scriptरसूख के बल पर 20 साल रुका रहा बाबू का निलंबन | Babu's suspension stayed 20 years on the strength of influence | Patrika News

रसूख के बल पर 20 साल रुका रहा बाबू का निलंबन

locationमोरेनाPublished: Dec 18, 2019 11:18:10 pm

सीएम कार्यालय से लिखा गया कार्रवाई का पत्र तब 4 माह बाद हो पाया निलंबन, 15 दिन में पूरी होगी जांच

रसूख के बल पर 20 साल रुका रहा बाबू का निलंबन

रसूख के बल पर 20 साल रुका रहा बाबू का निलंबन

मुरैना. वित्तीय अनियमितताओं की दम पर हासिल रसूख का उपयोग कर आदिम जाति कल्याण विभाग मेंं पदस्थ एक बाबू 20 साल तक अपने विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई को रुकवाए रहा। इस संबंध में आयुक्त अनुसूचित जाति विकास मप्र शासन ने वर्ष 1999 और 2000 में पत्र भी लिखे थे। मामला 4 माह पूर्व मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए जाने के बाद 13 दिसंबर को निलंबन की कार्रवाई की जा सकी।
अनूसूचित जाति कल्याण विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 जगदीश चंद्र वर्मा पर अनुसूचित जाति/जनजाति के विकास की योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर इन वर्गों को विकास से वंचित रखने का आरोप है। इस संबंध में पूर्व अध्यक्ष (राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त) सहरिया विकास प्राधिकरण मुकेश मल्होत्रा ने आयुक्त अनुसूचित जाति विकास मप्र शासन के दोनों पत्रों का हवाला देकर 4 अगस्त 2019 मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा था। इसके बाद 6 सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री कार्यालय से उपसचिव अनुराग सक्सेना ने कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास को पत्र लिखा। इस पत्र के बाद 20 सितंबर 2019 को कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास मप्र से अपर संचालक आदिवासी विकास ने कलेक्टर मुरैना को पत्र लिखकर सहायक ग्रेड-3 जनजातीय कार्य विभाग मुरैना जगदीश चंद्र वर्मा को निलंबित कर जांच के लिए कहा गया।

क्या है निलंबित बाबू पर आरोप


सहरिया आदिवासी विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष मुकेश मल्होत्रा ने अपने पत्र में कहा था कि बाबू ने अनुसूचित जाति बस्ती विकास के निर्माण कार्य सामान्य बस्तियों में करवाए। विद्युतीकरण शाखा के प्रभारी होने के नाते वर्मा ने ठेकेदारों से सांठगांठ कर 17 लाख रुपए से अधिक का सरकारी धन खर्च किया। इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता करार दिया गया है। इसलिए बाबू को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांंग की थी।

3 माह से ज्यादा का समय लगा निलंबन की कार्रवाई में


कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास मप्र से 20 सितंबर को लिखा गया बाबू के निलंबन का पत्र अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में कलेक्टर कार्यालय को प्राप्त हो गया था। इसके बावजूद निलंबन की कार्रवाई करने में 3 माह से अधिक का समय लग गया। 13 दिसंबर को कलेक्टर प्रियंका दास ने बाबू को निलंबित कर मुख्यालय अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय (राजस्व) सबलगढ़ निर्धारित कर दिया है।
जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित

निलंबित बाबू की कार्य के प्रति लापरवाही, उदासीनता एवं वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए 3 सदस्यों की समिति का गठन कलेक्टर प्रियंका दास ने किया है। 13 दिसंबर को गठित समिति अपना जांच प्रतिवेदन 15 दिन में कलेक्टर को देगी। समिति में उप महाप्रबंधक मप्र. मक्षे. विद्युत वितरण कंपनी, मुरैना को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि जिला कोषालय अधिकारी व कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुरैना को सदस्य नियुक्त किया गया है।

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