scriptसमर्थन मूल्य पर खरीदने के बाद वापस किया 4.86 करोड रुपए का बाजरा | Bajra worth Rs 4.86 crore returned after buying it at support price | Patrika News
मोरेना

समर्थन मूल्य पर खरीदने के बाद वापस किया 4.86 करोड रुपए का बाजरा

समर्थन मूल्य पर बाजरा की खरीद के मामले में जिले के किसानों के साथ इस साल भद्दा मजाक हुआ है। पहले तो खराब गुणवत्ता के नाम पर बाजरा खरीदने से ही इनकार किया गया। जो बाजरा खरीदा भी गया उसे बाद में अमानक बता कर किसानों को वापस कर दिया गया है।

मोरेनाJan 23, 2022 / 02:27 pm

Ravindra Kushwah

समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद

प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था सेंथरा अहीर

रवींद्र सिंह कुशवाह. मुरैना. खरीदते समय किसानों को इसके बारे में नहीं बताया गया था बाद में केंद्र और राज्य सरकार की समिति ने जिले के अधिकारियों के साथ खरीद केंद्रों पर जाकर सैंपल इनकी और खरीदे गए बाजरे को अमानक बता कर वापस करने के निर्देश जारी कर दिए। जिले भर में करीब 239 किसानों से खरीदा गया 2159 मेट्रिक टन बाजरा वापस किया गया है। समर्थन मूल्य के हिसाब से इस बाजरे की कीमत करीब 4 करोड़ 86 लाख रुपए थी। बाद में किसानों ने इसे व्यापारियों को ओने पौने दामों में बेचा।
बाजरे का समर्थन मूल्य अच्छा घोषित होने से इस साल किसानों ने ज्यादा संख्या में ऑनलाइन पंजीयन कराया था। पंजीकृत किसानों से 1 लाख 85 हजार मेट्रिक टन बाजरा खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन खरीद को लेकर शुरू से ही विवाद की स्थितियां बनने लगी थी। प्रारंभ में 2 दर्जन से अधिक सहकारी समिति प्रबंधकों ने जिला प्रशासन को आवेदन देकर बाजरे की गुणवत्ता खराब बताकर खरीदने से हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बावजूद जब आंदोलन होने लगे और दबाव बढ़ने लगा तो प्रशासन में खरीदना शुरू किया लेकिन गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरने की वजह से ज्यादातर किसानों को खरीद केंद्रों से वापस ही जाना पड़ा। तमाम कोशिशों के बावजूद 8 दिन समय अवधि बढ़ाने के बाद भी किसानों से केवल 2159 मेट्रिक टन ही बाजरा खरीदा जा सका। खरीद एजेंसियों को पहले से ही मालूम था इसलिए किसी भी किसान को एक भी रुपए का भुगतान नहीं किया गया था। राजनैतिक हस्तक्षेप से खरीद का समय 22 दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिए जाने के बावजूद केवल 239 किसानों से ही बाजरे की समर्थन मूल्य पर तोल की जा सकी थी। लेकिन अधिकांश बाजरा गोदामों में जमा नहीं कराया जा सका था। इसके पीछे प्रमुख कारण यह था कि खरीद एजेंसियों को और अधिकारियों को बाजरे की गुणवत्ता देखकर यह मालूम था कि इसे वापस ही करना पड़ेगा। किसानों ने पिछले साल समर्थन मूल्य पर अच्छा भाव मिलने को देखते हुए इस साल लगभग 164000 हेक्टेयर में बाजरे की बोवनी की थी। लेकिन बाढ़ और अतिवृष्टि में सैकड़ों हेक्टेयर फसल खराब हो गई थी। किसान रतन सिंह कहते हैं कि सरकार को यदि बाजरा खरीदना ही नहीं था तो पंजीयन, तुलाई एवं खरीद केंद्र स्थापित करने पर लाखों रूपए खर्च करने की क्या आवश्यकता थी ।
39 हजार से ज्यादा किसानों ने कराया था पंजीयन
सरकार को बाजरा भेजने के लिए जिले में 39000 से ज्यादा किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया था। बाजार में 17 सौ रुपए के आसपास भाव होने से किसानों को उम्मीद थी कि सरकार को बाजरा बेचकर एक क्विंटल पर वे करीब 500 रुपए अतिरिक्त भुगतान प्राप्त कर लेंगे। लेकिन किसानों के साथ इस साल जबरदस्त धोखा हुआ है। अक्टूबर माह के मध्य में जब बे मौसम बरसात हुई थी तब किसानों ने बाजरे की फसलों में नुकसान की बात कही थी लेकिन प्रशासन में किसी प्रकार का नुकसान मानने से साफ तौर पर इंकार कर दिया था। जब बाद में कृषि एवं राजस्व विभाग की टीम ने सर्वे किया तो बाजरे की फसलों में बेमौसम बारिश से करीब 30 प्रतिशत तक नुकसान आंका गया। लेकिन किसानों को इसका मुआवजा नहीं दिया गया।
इस साल बाजरे की खेती में कम हो सकता है रुझान
समर्थन मूल्य पर मोटे अनाज की खरीद शुरू होने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसानों से 1 किलो भी बाजरा समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा गया है। यदि लक्ष्य के अनुरूप जिले में समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद हुई जाती तो किसानों को 416 करोड रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होता। हालांकि समर्थन मूल्य पर खरीदने से इंकार कर देने के बाद किसानों ने यह बाजरा बाजार में 500 से 700 रुपए प्रति क्विंटल तक कम बेचा। इसके बावजूद किसानों का बहुत सा बाजरा घर में ही रह गया और अब इसका उपयोग पशुओं को और खुद के खाने में कर रहे हैं। किसान किशनपाल सिंह तोमर कहते हैं आगे से बाजरे का उत्पादन केवल घर की आवश्यकताओं के लिए ही करेंगे। बाजरे की खरीद कम होने से इस बार किसानों ने सरसों की तरफ ज्यादा रुझान किया है गेहूं का रकबा भी इसी वजह से कम हो रहा है।
गेहूं से भी कम हो रहा है रुझान
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद में भी किसानों को व्यवहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसीलिए गेहूं के प्रति भी किसानों का रुझान कम हो रहा है। बीते साल करीब एक लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोवनी करने वाले किसानों की बेरुखी देखते हुए इस बार करीब 85 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। जबकि सरसों की बोवनी लक्ष्य भी अधिक हो चुकी है। किसानों का मानना है सरसों की खेती में लागत भी कम लगती है और भाव भी अच्छा मिलता है इसमें नुकसान का भी प्रतिशत कम रहता है। सरसों के लिए जो समर्थन मूल्य सरकार घोषित करती है उससे ज्यादा का भाव तो बाजार से ही मिल जाता है। लेकिन गेहूं और बाजरे के मामले में यदि सरकार हाथ खींचती है तो किसानों को व्यापारियों के हाथों प्रति क्विंटल करीब 500 से 700 रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है।
फैक्ट फाइल
-1.85 लाख मेट्रिक टन बाजरा खरीदने का था जिले लक्ष्य।
-145000 मेट्रिक टन बाजरा खरीदा गया था बीते साल समर्थन मूल्य पर।
-39102 किसानों ने बाजरा बेचने के लिए कराया था पंजीयन।
-28000 किसानों का पंजीयन हुआ था वर्ष2020 में बाजरा बेचने के लिए।
– 289 किसानों से जिले भर में बाजरे की तौल कराई जा सकी थी।
-2159 मेट्रिक टन से ज्यादा बाजरे की हुई थी जिले भर में तौल।
-70500 हैक्टेयर रकवा बाजरे का होना था दर्ज अनुमान से।
-93 हजार हैक्टेयर के करीब रकवा दर्ज कराया था किसानों ने।
-12000 हैक्टेयर रकवा जांच के दौरान हो गया था कम।
-81000 हैक्टेयर रकवा पंजीकृत था बाजरा की उपज बेचने के लिए।

कथन
-दिसंबर के तीसरे सप्ताह में बाजरा बेचने के लिए हमारे पास संदेश आया, लेकिन जब कृषि उपज मंडी समिति अंबाह स्थित खरीद केंद्र पर पहुंचे तो वहां तौल बंद थी। सरकार का यह किसानों के साथ खिलवाड है।
धर्मेंद्र सिंह तोमर, ग्राम बलकापुरा, थरा
समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीदने के लिए जिले में 79 केंद्र चालू किए गए थे लेकिन शुरू से ही गुणवत्ता खराब होने की वजह से खरीद नहीं हो पा रही थी। जो बाजरा दबाव के चलते खरीद केंद्रों पर तौल लिया गया था, उसे भी जांच समितियों ने अमानक घोषित कर दिया, इसलिए वह किसानों को वापस कर दिया गया है। किसी भी किसान को एक रुपए का भी भुगतान सरकार की ओर से नहीं किया गया है।
अरुण कुमार जैन,
प्रबंधक, जिला आपूर्ति निगम, मुरैना।


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