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20 फीट तक बही चंबल कैनाल की दीवार, 200 बीघा फसल बर्बाद

locationमोरेनाPublished: Jan 08, 2021 08:05:47 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

कैनाल की दीवार बहने से खेतों में भरा पानी, 200 किसान प्रभावित, विधायक, जिपं सदस्य व अधिकारी पहुंचे मौके पर, 36 घंटे में पाल बनाने का दावा

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मुरैना/ सबलगढ़. मुरैना के सबलगढ़ में चंबल नदी की दाहिनी नहर की 20 फीट तक लंबाई में पाल टूट जाने से तीन गांवों के करीब 200 किसानों की 200 बीघा के करीब फसल पानी भरने से बर्बाद हो गई। रात में पाल कब टूटी यह तो ठीक से किसी को नहीं मालूम लेकिन किसानों ने सुबह 4 बजे खेतों में पानी भरा हुआ देखा तो होश उड़ गए। किसानों ने तुरंत अधिकारियों से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी मुख्यालय पर नहीं मिले।

 

क्षमता से ज्यादा पानी छोड़ने से टूटी दीवार- किसान
कैनाल की दीवार टूटने की मुख्य वजह नहर में पानी का बहाव अचानक ज्यादा हो जाना और पहले से ही क्षतिग्रस्त होना माना जा रहा है। सबलगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम मानपुर-किशोरगढ़ पर नहर की पाल टूटने से उसके किनारे के 200 बीघा में सरसों और गेहूं की फसल डूब गई। किसानों का कहना है कि यदि दिन में नहर की पाल टूटती तो खेतों पर काम करने वाले किसानों के साथ भी दुर्घटना हो सकती थी। किसानों ने बताया कि तीन दिन से नहर में क्षमता से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा था। इससे नहर के दोनों किनारों पर पानी लबालब चल रहा था। यह बात अधिकारियों के संज्ञान में पहले से थी, लेकिन बचाव कार्य के प्रति उदासीनता बरती गई।

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तीन साल से हो रहा था पानी का रिसाव
चंबल दाहिनी नहर की पाल जिस स्थान पर टूटी है वहां पानी का रिसाव तीन साल से हो रहा था। किसानों का कहना है कि वे भी कुछ माह पूर्व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दे चुके हैं, लेकिन ग्वालियर से अपडाउन करने वाले अधिकारियों ने किसानों की बातों को गंभीरता से नहीं लिया और उदासीनता जारी रही। किशोरगढ़कापुरा के किसान बंटी रावत, रामजी रावत, रघुनंदन रावत, जगदीश रावत, विंतोष रावत, ऋषिकेश रावत, रंजीत रावत, राम सिंह, वीरा गुर्जर एवं हाकिम ने इस क्षति के लिए जल संसाधन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है।

 

तीन गांवों के किसानों को हुआ है नुकसान
नहर फूटने से खेतों में भरे पानी से तीन गांवों के किसानों की फसल बर्बाद हुई है। इनमें ग्राम मानपुर, किशोरगढ़कापुरा, टाटूपुरा-बाबरीपुरा के किसान शामिल हैं। ज्यादातर किसानों ने खेतों में सरसों व गेहूं के बीज बोए थे। जिस जगह नहर फूटी है, उससे करीब 20 फीट नीचे एक पुलिया बनी है। इस पुलिया से टकराकर पानी नहर के दाईं ओर निकल गया। ग्रामीणों के अनुसार यदि यह पुलिया न होती तो पानी किशोरगढ़कापुरा गांव में भी घुस जाता ।

 

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