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भ्रष्टाचार के मामले में सात साल बाद भी न्यायालय में चालान पेश नहीं

locationमोरेनाPublished: May 15, 2022 03:44:15 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

– लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई पर सवाल- गल्र्स कॉलेज की प्राचार्य कमलेश श्रीवास्तव सहित पांच के खिलाफ छात्रवृत्ति में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज है अपराध

भ्रष्टाचार के मामले में सात साल बाद भी न्यायालय में चालान पेश नहीं

भ्रष्टाचार के मामले में सात साल बाद भी न्यायालय में चालान पेश नहीं

मुरैना. लोकायुक्त पुलिस ने छात्रवृत्ति के नाम पर दो दर्जन से अधिक निजी कॉलेजों में हुए लाखों रुपए के फर्जीवाड़े को लेकर सात साल पूर्व प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत जिले की लीड संस्था शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राध्यापक कमलेश श्रीवास्तव (वर्तमान प्राचार्य), प्रो. बी आर सिंह, प्रो. सुनीता सिंह, प्रो. सरोज अग्रवाल सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। इस मामले को सात साल हो गए लेकिन अभी तक न्यायालय में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश नहीं किया गया है। लोकायुक्त की कार्रवाई पर लोगों को बड़ा विश्वास रहता है लेकिन इस मामले को लेकर लोकायुक्त की कार्रवाई पर तमाम प्रश्न उठ रहे हैं। आखिर अधिकारी इस जांच को इतना लंबा क्यों खींच रहे हैं। चर्चा है कि लीड कॉलेज में छात्रवृत्ति संबंधी रिकॉर्ड एक प्राध्यापक द्वारा खुर्द बुर्द कर दिया गया है। लोकायुक्त इस मामले की ठीक से जांच करे तो इसमें लीड कॉलेज के स्टाफ के और सदस्य भी आरोपी बन सकते हैं। क्योंकि वेरीफिकेशन तो अन्य लोगों ने भी किया था। लोकायुक्त द्वारा छात्रवृत्ति के मामले में कॉलेज के कुछ स्टाफ को आरोपी बनाया जा चुका है उसके बाद भी गलत कार्य करने पर स्टाफ को जरा सा भी भय व संकोच नहीं हैं। स्टाफ का दुस्साहस देखो कि लोकायुक्त में अपराध दर्ज होने के बाद भी कॉलेज स्टाफ द्वारा लगातार फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। हर साल बीएड के फॉर्म वेरीफिकेशन में ऐसे लोगों के फॉर्म पास कर दिए जाते हैं जिनके पास म प्र की कोई अंकसूची न मूल निवासी थी। इसके पीछे भी लेनदेन की चर्चा है।
भ्रष्टाचार के आरोपियों पर विभाग मेहरवान
लोकायुक्त पुलिस जिस किसी के खिलाफ अपराध दर्ज करती है उसका प्रतिवेदन संंबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजती है और आरोपियों को विभाग से सस्पेंशन का ऑर्डर जारी कर दिया जाता है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में उल्टा हो रहा है। यहां सस्पेंशन की कार्रवाई न करते हुए आरोपियों को उपकृत किया गया है। भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बनाई गई कमलेश श्रीवास्तव जिस कॉलेज में कई दशक से प्राध्यापक थीं, उसी में आज प्राचार्य हैं। भ्रष्टाचार के आरोपी लगातार प्रमोशन सहित अन्य विभागीय लाभ लेते आ रहे हैं। लोकायुक्त ने मामला दर्ज होने के बाद ही प्रतिवेदन उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भेज दिया था विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले पर पर्दा डाल रहे हैं। खासकर ग्वालियर में पदस्थ अतिरिक्त संचालक इस पूरे मामले में खिचड़ी पका रहे हैं। अगर समय रहते इस मामले को शासन स्तर पर भेज दिया जाता तो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो जाती।
ये है मामला ………..
मुरैना के लीड कॉलेज शासकीय कन्या महाविद्यालय से संबंद्ध दर्जनों निजी कॉलेजों में छात्रवृत्ति के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा हुआ था। उन कॉलेजों के फॉर्मों का वेरीफिकेशन लीड कॉलेज के स्टाफ ने अनुमोदित किए। इसी मामले में कन्या कॉलेज के पांच लोगों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष 2015 में अपराध क्रमांक 29/2015 धारा 13(1) डी, 13(2) पीसी एक्ट 1988 एवं आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी ही भेज रहे हैं लोकायुक्त को चाही गई जानकारी
लोकायुक्त पुलिस द्वारा संस्था प्राचार्य से जानकारी चाही गई है। गल्र्स कॉलेज की प्राचार्य स्वयं आरोपी है उसके बाद भी वह जानकारी दे रही है। नियमानुसार आरोपी को जिम्मेदार पद पर नहीं रखा जा सकता क्योंकि रिकॉर्ड में हेराफेरी कर जांच प्रभावित कर सकता है। उसके बाद भी विभाग कार्रवाई नहीं कर सका है। लोकायुक्त पुलिस ने कुछ समय पूर्व आरोपियों से संबंधित डिटेल संस्था प्राचार्यों से मांगी हैं। उन्होंने दो पत्र जारी किए हैं जिनमें एक शासकीय कन्या महाविद्यालय और एक शासकीय पी जी कॉलेज के प्राचार्य के नाम था। क्योंकि कन्या कॉलेज से दो लोगों का स्थानांतरण पी जी कॉलेज के लिए हो चुका है। जो पत्र जारी किया हैं, उसके माध्यम से आरोपी का नाम, स्थाई निवास का पता, सेवानिवृत्ति की तिथि, वर्तमान पद एवं पदस्थापना, शासकीय सेवा के प्रारंभ करने का आदेश, धारित पद की श्रेणी, सक्षम अधिकारी जो आरोपी को पद से पृथक कर सकते हैं सहित अन्य जानकारी चाही गई हैं। गल्र्स कॉलेज में उक्त जानकारी स्वयं आरोपी (प्राचार्य) द्वारा दी गई।
कथन
– लोकायुक्त में मामला दर्ज होने पर शासकीय लोकसेवक के खिलाफ चालान पेश करने के लिए संबंधित विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है, हो सकता है उच्च शिक्षा विभाग ने अनुमति नहीं दी हो, मंै अभी आया हूं, इस मामले को और दिखवा लेता हूं।
रामेश्वर यादव, पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त, ग्वालियर
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