30 साल तक नगरपालिका में सफाई दरोगा रहने के बाद शोभाराम ने परिचितों की सलाह पर पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत गए। ढाई साल पार्षद रहने के अंतिम नगरपालिका परिषद का कार्यकाल आधा बीत जाने के बाद अध्यक्ष को हटा दिया और शोभाराम को अध्यक्ष चुन लिया और पूरे ढाई साल अध्यक्ष रहे और इस दौरान स्टेडियम, बस स्टैंड के पास दुकानोंं का निर्माण उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। वे बताते हैं कि सीवर प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भी पारित करके भोपाल भिजवाया और वहां से दिल्ली भिजवाया, लेकिन वह मंजूर नहीं हो सका।
मांगकर गुजारा कर लेंगे पर बेईमानी नहीं दैनिक वेतन पर जनपद पंचायत कार्यालय परिसर में सफाई कर रहे बाल्मीक कहते हैं कि वे चाहते तो अध्यक्ष रहते हुए पैसा कमा सकते थे, लेकिन काम पर ध्यान दिया। मांग कर गुजारा कर लेंगे, लेकिन बेईमानी नहीं कर सकते। यह बात बताते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए। जनपद पंचायत की ओर से उन्हें सफाई कार्य के बदले में करीब 4000 हजार रुपए मिलते हैं।
जब मुंंशीलाल के खिलाफ चुनाव लड़ गए शोभाराम पूर्व मंत्री मुंशीलाल के खिलाफ दिमनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। वे बताते हैं कि उनके अधीन एक सफाई कर्मचारी बहुत गरीब था। ब”ाों सहित करीब 10 लोगों के परिवार की जिम्मेदारी थी। उसने पत्नी की नौकरी के लिए सिफारिश करवानी चाही। इसी मुद्दे पर तनातनी हो गई तो शोभाराम उनके खिलाफ वर्ष 1991 में चुनाव लड़ गए। बाल्मीक का दावा है कि उनकी वजह से मुंशीलाल चुनाव हार गए। हालांकि मतदान वाले दिन यह अफवाह फैलाई गई कि वह (शोभाराम) चुनाव मैदान से हट गए हैं, इसका दुष्प्रभाव हुआ और वोट कांग्रेस को चले गए।