टिकट पर दर्शकों को नहीं खींच पाया जिला मुख्यालय का शहीद संग्रहालय
मोरेनाPublished: May 19, 2022 08:52:29 pm
चंबल संभाग की सांस्कृतिक, सामाजिक, पुरातात्विक स्मृतियों और वीर गाथाओं को संजोए अमर शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल संग्रहालय का संचालन जन अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हो पा रहा है।
अमर शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल संग्रहालय।
रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. दर्शकों को खींचने का कोई ठोस प्रयास शासन और प्रशासन स्तर पर नहीं हो पा रहा है। जबकि संग्राहलय का भ्रमण कर कोई भी व्यक्ति मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले को पहचान सकता है।
तत्कालीन सांसद और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। मनोयोग से उन्होंने पुराने संग्रहालय भवन को तुड़वाकर उसकी जगह नया और आधुनिक तकनीक से भवन बनवाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व तोमर ने मिलकर इसका लोकार्पण किया और दर्शकों को टिकट के आधार पर प्रवेश की व्यवस्था की गई। दर्शक उम्मीद के अनुरूप यहां पहुंचे नहीं। जबकि इसके निर्माण पर सांसद निधि सहित अन्य व्यवस्थओं से करीब सवा करोड़ रुपए खर्च हुआ। इसके बाद उसे संवारने पर अलग-लगह प्रयासों से भी इस पर करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च हुए। वर्ष 2013-14 में लोकार्पण के बाद यहां बाहर से आने वाले मेहमान खूब आए, कुछ दिन स्थानीय दर्शकों ने भी भ्रमण किया, लेकिन अब यहां लोग बहुत कम आते हैं।
ओपन थियेटर भी नहीं संचालित हो पाया
दर्शकों को आकर्षित करने के लिए यहां संग्रहालय के पिछले हिस्से में ओपन थियेटर की व्यवस्था की गई। चंंबल की गौरव गाथा पर बनी कुछ लघु फिल्मों को एक-दो बार चलाया भी गया। लेकिन यह व्यवस्था ज्यादा दिन नहीं चल पाई। पिछले करीब तीन साल से ओपन थियेटर एक दिन भी नहीं चला है। जबकि प्लान था कि रोज शाम के वक्त ज्ञानवर्धक लघु फिल्मों का संचालन किया जाएगा, लेकिन अब तो प्रोजेक्टर व अन्य उपकरण भी चालू हालात में नहीं हैं।
स्टाफ भी नहीं व्यवस्था के लिए
वर्तमान में संग्रहालय के व्यवस्थित संचालन के लिए पर्याप्त स्टॉफ भी नहीं है। प्रभारी जिला पुरातत्व अधिकारी के अलावा एक कर्मचारी है जो साफ-सफाई सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं देखता है। हालांकि 15 अगस्त, 26 जनवरी, बिस्मिल शहादत दिवस व जन्मोत्सव पर यहां कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
प्रशासन ने किया था अच्छा प्रयास
तत्कालीन कलेक्टर विनोद शर्मा ने दर्शक जुटाने के लिए अच्छा प्रयास किया था। हर सोमवार को टीएल बैठक के बाद अधिकारी भ्रमण पर आते थे। संभाग के स्कूलों को भी निर्देश थे कि वे एक बार संग्रहालय का भ्रमण बच्चों को जरूर कराएं। इस दौरान भिण्ड और श्योपुर तक के बच्चे यहां आने लगे थे।
फैक्ट
10 साल पहले पुराने भवन को तोड़कर कराया गया था नव निर्माण।
8 साल पहले लोकार्पण के बाद दर्शकों की रुचि दिखी भी, अब कम आते हैं।
1 लाख रुपए के करीब ही अब तक टिकट विक्रय से हो पाया है धन संग्रह।
3 जिलों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक, कला एवं वीरता को संजोया गया है।
कथन-
संग्रहालय में नए दर्शक आकर्षित करने के लिए प्रयास होने चाहिए। स्थानीय लोग तो किसी न किसी माध्यम से मुफ्त में देख चुके हैं अब वहां कुछ नया थी होना चाहिए, ताकि नए दर्शक भी आएं।
मोहित शर्मा, नागरिक, मुरैना।
-दर्शक आते तो हैं, लेकिन ज्यादा नहीं। अब तक टिकट विक्रय से कुल कलेक्शन करीब एक लाख रुपए हुआ होगा। स्टॉफ भी नहीं है, प्रयास कर रहे हैं प्रशासन और शासन क माध्यम से स्टॉफ और व्यवस्थाएं बढ़ें तो नए दर्शक आना शुरू हों।
अशोक शर्मा, जिला पुरातत्व अधिकारी, मुरैना।