आधी रात को स्टीमर से कूदकर क्यों भागे कर्मचारी
मोरेनाPublished: Oct 09, 2019 06:54:36 pm
चंबल नदी के उसैद घाट पर संचालित होने वाला स्टीमर मंगलवार-बुधवार की रात डूब गया। मध्यप्रदेश से उत्तरप्रदेश को जोडऩे वाले इस मार्ग पर बारिश के दिनों में स्टीमर ही एकमात्र सहारा है। वैकलिपक व्यवस्था होने तक अब उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच उसैदघाट पर संपर्क टूट गया है। स्टीमर को निकालने के प्रयास शुरू किए गए हैं.
स्टीमर की खोज करते कर्मचारी।
मुरैना. 15 जून से बारिश का सीजन मानते हुए मप्र के उसैद और उत्तरप्रदेश के पिनाहट घाट पर बने पीपों के पुल को उखाड़ लिया जाता है। पीपे नदी के किनारे ही बांधकर पानी में रखे जाते हैं। इसके बाद स्टीमर का संचालन शुरू किया जाता है। हालांकि जब पानी अचानक बढ़ता है तो स्टीमर का संचालन भी रोक दिया जाता है। लेकिन इन दिनों इसका संचालन निरंतर किया जा रहा था। उत्तरप्रदेश के लोक निर्माण विभाग द्वारा यहां पीपों का पुल हटा लेने के बाद स्टीमर का नि:शुल्क संचालन किया जाता है। हालांकि अक्सर वसूली की खबरेंं भी आती रहती हैं। अवैध स्टीमर संचालन को लेकर जुलाई के अंतिम सप्ताह में यहां गोलीबारी भी हुई थी और बाह थाने में प्रकरण भी दर्ज हुआ था। उसके बाद से स्टीमर का संचालन उत्तरप्रदेश शासन की ओर से लोगों की सुविधा के लिए कराया जा रहा था।
रात को दो बजे के बाद डूबा स्टीमर
स्टीमर पर बतौर चालक काम करने वाले नयापुरा के राजवीर ने बताया कि वे 10-12 लोग स्टीमर की सुरक्षा व देखरेख में थे। रात को खाना खाने के बाद आधा दर्जन लोग नदी के किनारे बनाई झोंपड़ी में सो गए और पांच कर्मचारी स्टीमर पर ही सो गए। इनमें राजवीर के अलावा अशोक, देशराज, रवि और गीताराम शामिल थे। रात में दो बजे के करीब तेज हवा के साथ स्टीमर डगमगाने लगा। कर्मचारी कुछ समझ पाते उसके पहले वह आधा डूबने लगा। भयभीत कर्मचारी दौड़कर किनारे आए और रस्सों को खींचने का प्रयास किया, लेकिन स्टीमर को डूबने से नहीं बचा सके। स्टीमर में उनका मोबाइल, कपड़े और एक ड्रम डीजल भी रखा होने की बात कही जा रही है। चालक के अनुसार तेज हवा के साथ नदी में बहकर एक पेड़ भी आया था जो स्टीमर से टकरा गया जिससे वह डूब गया।
पानी भरता रहता था स्टीमर में
उसैद और पिनाहट घाट के बीच चंबल नदी पर संचालित स्टीमर की बॉडी में छेद हो गए थे। एक साल से रिसाव करके पानी स्टीमर में भर रहा था। पहले कम पानी आता था तो कर्मचारी किसी बर्तन से खाली कर देते थे। लेकिन कुछ समय से यह समस्या बढ़ गई थी। स्टीमर डूबने का एक कारण उसमें पानी भर जाना भी बताया जा रहा है। हालांकि कर्मचारियों का कहना है कि पानी निकालने का प्रयास भी किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
एक माह तक नहीं बन पाएगा पुल
चंबल नदी के उसैदघाट पर हर साल 15 अक्टूबर से पांटून पुल लोगों के आवागमन के लिए शुरू कराया जाता है। लेकिन इस साल यह दीपावली तक भी चालू नहीं हो पाएगा। इसकी वजह चंबल में पानी अधिक होना है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में स्टीमर पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। स्टीमर डूबने के बाद बंद हुए आवागमन को चालू कराने में समय लग सकता है।
फैक्ट फाइल
15 जून को उखाड़ लिया जाता है उसैदघाट पर पीपों का पुल।
15 अक्टूबर तक पांटून पुल बनाने का है नियम।
1 माह और नहीं हो पाएगा पांटून पुल का निर्माण।
500 से ज्यादा यात्री रोज जाते हैं मप्र से उप्र की ओर।
500 यात्री उप्र से रोज आते हैं मप्र की सीमा में।
50 से ज्यादा गांवों के लोग दोनों ओर से होंगे रोज प्रभावित।
30-15 हजार लोग एक माह में आते-आते हैं उसैद घाट से।
100-125 किमी कम हो जाती है अंबाह से बाह की दूरी।