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लोकायुक्त में एफआईआर के बाद भी पद पर जमे है आरोपी प्राचार्य व प्राध्यापक

locationमोरेनाPublished: Jul 13, 2021 08:17:59 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

– लोकायुक्त पुलिस विभाग को भेज चुकी है प्रतिवेदन, फिर भी नहीं हुआ आरोपियों का सस्पेंशन- करोड़ों की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े का मामला, रिकॉर्ड खुर्द बुर्द करने की चर्चा, विभाग कर रहा अनदेखी

लोकायुक्त में एफआईआर के बाद भी पद पर जमे है आरोपी प्राचार्य व प्राध्यापक

लोकायुक्त में एफआईआर के बाद भी पद पर जमे है आरोपी प्राचार्य व प्राध्यापक


मुरैना. लोकायुक्त पुलिस ने छात्रवृत्ति के नाम पर दो दर्जन से अधिक निजी कॉलेजों में हुए करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े को लेकर पांच साल पूर्व प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत जिले की लीड संस्था शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राध्यापक कमलेश श्रीवास्तव, प्रो. बी आर सिंह, प्रो. सुनीता सिंह, प्रो. सरोज अग्रवाल सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। नियमानुसार लोकायुक्त पुलिस जिस किसी के खिलाफ अपराध दर्ज करती है उसका प्रतिवेदन संंबंधित विभाग वरिष्ठ अधिकारियों को भेजती है और आरोपियों को विभाग से सस्पेंशन का ऑर्डर जारी कर दिया जाता है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में उल्टा हो रहा है। यहां सस्पेंशन की कार्रवाई न करते हुए प्रमोशन किया गया है। वर्तमान में कमलेश श्रीवास्तव जिस कॉलेज में कई दशक से प्राध्यापक थीं, उसी में आज प्राचार्य हैं।
यहां बता दें कि लोकायुक्त पुलिस ने वर्ष २०१५ में उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक २९/२०१५ धारा १३(१) डी, १३(२) पीसी एक्ट १९८८ एवं आइपीसी की धारा ४२०, ४६७, ४६८, ४७१, १२० बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसके कुछ दिन बाद ही कार्रवाई का प्रतिवेदन उच्च शिक्षा विभाग को भेज दिया गया था लेकिन विडंवना है कि पांच साल बाद भी एक भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। भ्रष्टाचार के आरोपी लगातार प्रमोशन सहित अन्य विभागीय लाभ लेते आ रहे हैं। उपरोक्त आरोपियों ने जिन निजी महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़े स्तर पर गड़बड़झाला किया था, उन छात्रों के इनके द्वारा फॉर्म वेरीफिकेशन किए थे। चर्चा है कि निजी महाविद्यालय संचालकों द्वारा गलत कार्य कराने के लिए लालच दिया जाता है उसके चलते फॉर्म वेरीफिकेशन मानमाने तौर किए गए, उनको ठीक से चेक भी नहीं किया।
अतिरिक्त संचालक दे रहे संरक्षण, इसलिए नहीं होती कार्रवाई !
उच्च शिक्षा विभाग भोपाल द्वारा संभाग स्तर पर अतिरिक्त संचालक को इसलिए तैनात किया गया है कि स्थानीय स्तर पर कहां क्या गड़बड़ी हो रही है, उसकी रिपोर्ट समय समय पर भोपाल दी जा सके जिससे संबंधित के खिलाफ एक्शन लिया जा सके लेकिन अतिरिक्त संचालक ग्वालियर की जानकारी में पूरा मामला होने के बाद भी उन्होंने उच्च शिक्षा भोपाल को अवगत नहीं कराया। इसके अलावा ग्वालियर चंबल संंभाग में कॉलेज स्तर पर कुछ भी गलत होता रहे, संबंधित कॉलेज के प्राचार्य इनके यहां सिर्फ ढोक लगाने पहुंच जाएं, उस पर अतिरिक्त संचालक कार्रवाई न करते हुए पर्दा डालते रहते हैं।
रिकॉर्ड खुर्द बुर्द करने की चर्चा
पांच साल पूर्व लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था लेकिन अभी तक मामला पेडिंग पड़ा था। चर्चा है कि आरोपी पक्ष ने राजनीतिक एप्रोच के जरिए मामला दबा दिया था। लेकिन अब मामले में चालान पेश करने की तैयारी हो चुकी है। इसके लिए संबंधित कॉलेज प्राचार्यों से आरोपियों की व्यक्तिगत जानकारी चाही गई है। आरोपियों द्वारा छात्रवृत्ति संबंधी रिकॉर्ड खुर्द बुर्द किए जाने की चर्चा है। खबर है कि ग्वालियर से आने वाले एक प्राध्यापक द्वारा कुछ रिकॉर्ड कॉलेज से हटवा दिया गया है। खास बात यह है कि कॉलेज की प्राचार्य भी मामले में आरोपी हैं, वह भी रिकॉर्ड खुर्द बुर्द करने में सहयोग कर सकती हैं।
कथन
– यह तो आप भी जानते हैं लोकायुक्त पुलिस में मामला दर्ज होते ही कुछ दिन बाद ही संबंधित विभाग को आरोपी के खिलाफ की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन भेज दिया जाता है। संभवतह कन्या कॉलेज मुरैना के मामले में भी विभाग को पांच साल पूर्व हुई एफआइआर के बाद ही प्रतिवेदन भेज दिया गया होगा।
प्रदुम्न पाराशर, डीएसपी, लोकायुक्त पुलिस
– शासकीय कन्या महाविद्यालय की मुझे किसी मामले की शिकायत मिल जाए फिर प्राचार्य को भी पत्र लिखकर जवाब तलब करेंगे। लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई का मामला मेरी जानकारी में नहीं हैं, मुझे जानकारी मिलती है वैसे ही मैं शासन को लिखूंगा।
एम आर कौशल, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, ग्वालियर
– गल्र्स कॉलेज मुरैना के स्टाफ के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गइ एफआइआर का मामला मेरी नॉलेज में नहीं हैं। यह बात सही है कि एफआइआर के बाद आरोपियों का सस्पेंशन होता है, इस मामले में अभी तक कार्रवाई क्यों नहींं हुई, मैं दिखवा लेता हूं।
चंद्रशेखर वालिम्बे, अपर आयुक्त, उच्च शिक्षा, भोपाल
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