माफिया ने चंबल नदी के आसपास के गांव व राजघाट पर अवैध रेत का भंडारण बारिश से पूर्व कर लिया था। उसी रेत से रात दिन टै्रक्टर-ट्रॉलियों से अवैध परिवहन किया जा रहा है। स्थिति यह है कि हाईवे पर बिना रोकटोक के दिन दहाड़े चंबल रेत से भरी ट्रॉली दौड़ती नजर आती हैं लेकिन उनको पकडऩा तो दूर कोई टोकता भी नहीं हैं। वन विभाग के पास स्वयं का अमला है और एक कंपनी एसएएफ की भी है, लेकिन उसके बाद भी वन नाके पर कोई ड्यटी नहीं करता। नियमानुसार विभाग ने डिवाइडर पर नाका स्थापित किया है लेकिन वह हर समय खाली पड़ा रहता है। स्टाफ नाके से दूर एक कमरे में बैठा रहता है। पूर्व में वन नाके पर डिप्टी रेंजर की रेत माफिया के लोग ट्रेक्टर से कुचलकर हत्या कर चुके हैं। उसके बाद से ही स्टाफ काफी भयभीत है। कुछ माह पूर्व वन नाके पर रेत माफिया व वन विभाग के स्टाफ के बीच रात को पथराव हुआ था। इस पथराव में रेत माफिया के एक युवक की मौत हो गई थी। इसके बाद विभाग पर इतने दबाव बना कि नाके पर ड्यूटी करने को कोई आगे नहीं आना चाहता।
रेंजर लिख चुके हैं नाका प्रभारी को पत्र रेंजर एमके कुलश्रेष्ठ ने नाका प्रभारी को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि डीएफओ और उन्होंने स्वयं नाके का कई बार अवलोकन किया है हर बार स्टाफ नाके पर नहीं मिला है। लिहाजा वन नाके पर स्टाफ के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए अन्यथा की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।
पर्याप्त फोर्स फिर भी कार्रवाई नहीं इन दिनों प्रशासन के पास पर्याप्त फोर्स है। बाहर से भी पैरामिलिट्री फोर्स भी आया है। पुलिस एरिया डोमीनेशन चल रहा है परंतु रेत माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती और न ही रेत माफिया को पुलिस का कोई भय है। पुलिस फोर्स खड़ा रहे फिर भी बैरियर व अन्य क्षेत्र से आसानी से टै्रक्टर ट्रॉली निकालकर ले जाते हैं।
टै्रक्टर-ट्रॉलियों पर आचार संहिता बेअसर इन दिनों आचार संहिता लगी हुई है। लेकिन रेत माफिया पर आचार संहिता बेअसर है। अधिकांश टै्रक्टर पर साउंड सिस्टम लगा हुआ है और जब ये शहर या हो हाईवे, तेज आवाज में साउंड बजाकर आसानी से निकल जाते हैं। इनके खिलाफ कोलाहल अधिनियम की कार्रवाई भी नहंी की जाती। जबकि कोई भी वाहन साउंड सिस्टम के साथ निकलता है तो उसको थाने में बंद कर दिया जाता है और कोलाहल अधिनियम की कार्रवाई कर दी जाती है।
ये बात सही है कि इन दिनों नाके पर स्टाफ नहीं बैठ रहा है। इसके लिए नाका प्रभारी को पत्र लिखकर कहा गया है कि नाके पर स्टाफ की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए, अन्यथा की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।
एम के कुलश्रेष्ठ, रेंजर, वन विभाग