चंबल नदी में वर्ष 2019 में हुई गणना के अनुसार घडिय़ाल 1876 थे और 2020 में 1859 पाए गए हैं। इस अंतर को ’यादा नहीं माना जाता क्योंकि इनकी गणना हर साल फरवरी महीने में सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होती हैं क्योंकि इस समय घडिय़ाल धूप लेने नदी से निकलकर बाहर आता है। विभाग का मानना हैं कि वोट से गणना होती है इसलिए थोड़ा बहुत ऊपर नीचे हो जाता है। वहीं देवरी केन्द्र पर वर्ष 2018 बैच के 156, 2019 के 111 और 2020 के 188 घडिय़ाल हैं। वहीं वर्ष 2019 में मगर 706 थे जो 2020 में बढक़र 768 हो गए हैं। वहीं 49 बाटागुर और डोगोका प्रजाति के कछुआ पल रहे हैं। इनमें से 2017 बैच के 19 और 2019 के 30 कछुआ हैं। केयर टेकर ’योति डंडोतिया ने बताया कि केन्द्र पर 455 घडिय़ाल पाले जा रहे हैं। घडिय़ाल का भोजन जीवित मछली है। जो उन्हें दी जा रही है।