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बच्चों की संख्या में भी फर्जीवाड़ा, 27 से घटकर 11

locationमोरेनाPublished: Jul 31, 2019 10:52:06 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastav

एमडीएम, गणवेश राशि व पुस्तक वितरण के नाम पर धांधली की जांच से परहेज
 
 

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बच्चों की संख्या में भी फर्जीवाड़ा, 27 से घटकर 11

मुरैना. शासकीय प्राथमिक विद्यालय श्यामलाल का पुरा (पहाडगढ़़) में विद्यार्थियों के नाम पर भी फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। 15 दिन पहले तक दर्ज विद्यार्थियों की संख्या 27 बताते रहे अधिकारी जांच में पोल खुलने पर बच्चोंं संख्या 11 पर उतर आई हैं। ऐसे में मध्याह्न भोजन, गणवेश वितरण और पुस्तक वितरण के नाम पर हुए घालमेल की जांच से अधिकारी कन्नी काट रहे हैं।

शासकीय प्राथमिक विद्यालय श्यामलाल का पुरा में शिक्षण व्यवस्था वर्षों से बेपटरी है। अधिकारियों की जानकारी में सारा मामला होने के बावजूद वे अंाखें फेरे रहे। बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को ध्यान में रखकर ग्रामीणों ने ही आवाज उठाई तो अधिकारियों की नींद खुली। लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की जा रही है। अधिकारियों का दावा है कि स्कूल इसी सत्र में नहीं खुला था। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल कभी खुलता ही नहीं है। इस सत्र में भी खुला तो केवल ताला खुला है। शिक्षक नहीं आते इसलिए बच्चे भी नहीं आते हैं। मजबूरी में ग्रामीणों ने अपने बच्चों को पास के गांव भर्रा में प्रवेश दिलाया है। बीएसी महीपत सिंह सिकरवार कहते हैं कि पहले 27 बच्चे दर्ज थे, लेकिन उसमें से 16 उत्तीर्ण होकर छठवीं कक्षा में पहुंचने से दूसरे गांव के स्कूल में जाने लगे। अब केवल 11 बच्चे ही शासकीय प्राथमिक विद्यालय श्यामलाल का पुरा में दर्ज बचे हैं। अधिकारियों की उदासीनता से बदहाल स्थिति में पहुंचे स्कूल में अब कोई ग्रामीण अपने बच्चों को दाखिला नहीं दिलाना चाहता है।

दो बार मनाया गया प्रवेशोत्सव फिर भी नहीं सुधरे हालात


जिले में दो बार समारोह पूर्वक प्रवेशोत्सव मनाया गया, लेकिन शासकीय प्राथमिक विद्यालय श्यामलाल का पुरा के हालात नहीं सुधरे। तीन दिन पूर्व जब बीएसी व अन्य अधिकारी जांच करने पहुंचे तो वहां कुछ भी व्यवस्थित नहीं मिला। विद्यालय में पदस्थ दो शिक्षकों में से एक को ट्रेनिंग पर जाना बताया गया और दूसरी महिला शिक्षक चिकित्सा अवकाश पर थीं। ऐसे में पास के गांव से वैकल्पिक व्यवस्था की गईथी। लेकिन जांच के दौरान विद्यालय में एमडीएम, पुस्तक वितरण, गणवेश वितरण सहित किसी भी प्रकार का अपडेट रिकॉर्ड नहीं मिला। जांच करने गए अधिकारियों ने वहां पदस्थ शिक्षक से मोबाइल पर संपर्क करके जानकारी अपडेट की।

जिले के अधिकारियों का मौन


प्राथमिक शिक्षा को लेकर जिले के अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका जीवंत नमूना शासकीय प्राथमिक विद्यालय श्यामलालकापुरा है। मामला तूल पकडऩे और ग्रामीणों के जन सुनवाई में आकर शिकायत करने के बावजूद बीएसी को भेजकर ही जांच की औपचारिकता की जा रही है। 11 बच्चों पर दो शिक्षकों की पदस्थापना भी सवालों के घेरे में है। जबकि जिले में करीब एक सैकड़ा स्कूल अतिथि शिक्षकों या वैकल्पिक व्यवस्था के भरोसे चल पा रहे हैं।
मैं तो अभी भोपाल मीटिंग में हूं। बीआरसीसी या बीएसी ही इस मामले में कुछ बता पाएंगे। आने के बाद देखेंगे।
हरीश तिवारी, डीपीसी मुरैना।

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