जिले में ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा सर्दियों की अपेक्षा अधिक रहता है। इस साल जहां ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा 2500 हैक्टेयर से अधिक रखा गया है, वहीं सर्दियों की फसल के लिए प्रस्तावित रकबा महज 1800 हैक्टेयर है। इस साल भी मूंग का समर्थन मूल्य 7300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। लेकिन मूंग की उपज कम होने से ज्यादा मूंग व्यापारी ही समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने से पहले खरीद लेते हैं।
मूंग उत्पादक किसान हरविलास कहते हैं कि ज्यादा किसान दो-चार क्विंटल तक मूंग की उपज लेते हैं। इतनी पैदावार तो बाजार में ही बिक जाती है। किसानों से उपभोक्ता भी सीधे खरीद लेते हैं। हालांकि पंजीयन में समन्वय करने वाले आपूर्ति महकमे को समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदने के सरकार के निर्णय की जानकारी अभी तक नहीं है। लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक अरुण कुमार जैन का कहना है कि पिछली साल भी समर्थन मूल्य घोषित किया गया था, लेकिन बाजार भाव अधिक रहने से सरकार के लिए मूंग की खरीद नहीं हो पाई थी। जिले में मूंग की खेती का रकबा कम होता जा रहा है।
गोवंश का हो प्रबंधन तो बढ़े रकबा मूंग की खेती करने वाले किसान उदय सिंह कहते हैं कि पर्याप्त पानी और फसल सुरक्षा का इंतजाम होने पर ही गर्मियों मेें मूंग की खेती संभव है। आवारा गोवंश की वजह से मूंग की फसल आसानी से नहीं हो पाती। सरकार को चाहिए कि मूंग की खेती करने वाले किसानों को खेतों में फसलों की सुरक्षा के लिए कंटीले तार लगाने के लिए अनुदान प्रदान करे। एक बार पानी का इंतजाम तो किसान कर सकते हैं, लेकिन आवारा गोवंश से सुरक्षा कठिन है।
कब कितना रहा मंग का समर्थन मूल्य वर्ष समर्थन मूल्य
2017-2018 5575
2018-2019 6975
2019-2020 7050
2020-2021 7196
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती का रकबा घट रहा है, इसकी वजह आवारा गोवंश है। तीन साल पहले तक 5500 हैक्टेयर तक मूंग की खेती होती थी, अब यह रकबा घटकर 2500-3000 हैक्टेयर तक आ गया है। किसान आवारा गोवंश का प्रबंधन नहीं कर पाते हैं।
अशोक सिंह गुर्जर, एसएडीओ, उप संचालक कृषि कार्यालय, मुरैना