जिला अस्पताल के पिछले हिस्से में चार कमरे नए बनाए गए थे। उस दौरान सड़क का भी निर्माण कराया गया। इस वजह से सीवर लाइन का हिस्सा नीचा पड़ गया है इसलिए सीवर का गंदा पानी बाहर न निकलते हुए अस्पताल परिसर में दोनों कोविड वार्ड के बीच में भर रहा है। मार्च-अप्रैल से स्थिति ज्यादा खराब है। कोविड मरीजों को दिन भर ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती रहती है। उधर जहां सिलेंडरों का स्टॉक है वहां पर सीवर लाइन की गंदगी व गंदा पानी भरा हुआ है। उसके अलावा लंबे समय से गंदगी होने से फंगस हो गई है जिससे कर्मचारी सिलेंडर उठाने जाते हंै तो फिसलकर उस गंदगी में गिर जाता है।
हाउसिंग बोर्ड को करना था काम, लेवर ने खड़े किए हाथ: अस्पताल परिसर में ध्वस्त पड़ी सीवर लाइन की मरम्मत का कार्य हाउसिंग बोर्ड को करना था लेकिन दोनों तरफ कोविड वार्ड होने से लेवर को कोरोना संक्रमण का डर सता रहा है इसलिए उसने काम करने से मना कर दिया। उधर अस्पताल प्रबंधन ने हाउसिंग बोर्ड से हर हाल में मरम्मत के लिए बोला है परंतु लेवर के तैयार न होने से काम नहीं हो पा रहा है।
& मैं दोनों इंजीनियर को बोल चुका हूं, सीवर सिस्टम बस्ट पड़ा है। एक दो दिन में ठीक करवाते हैं। डॉ. अशोक गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल -असल में जिस क्षेत्र में सीवर लाइन की मरम्मत होनी हंै, वह क्षेत्र दोनों कोविड वार्ड के बीच में पड़ता है। इसलिए हाउसिंग बोर्ड की लेवर ने काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
संजय विश्वकर्मा, इंजीनियर