scriptHighest production of milk yet 36 percent adulteration | दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन फिर भी 36 फीसदी मिलावट | Patrika News

दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन फिर भी 36 फीसदी मिलावट

locationमोरेनाPublished: Jan 14, 2022 02:34:02 pm

Submitted by:

Ravindra Kushwah

बाजार में बिकने वाले खाद्य तेल और दुग्ध उत्पादों के लिए गए नमूनों में 36.5 प्रतिशत अमानक स्तर के पाए जा रहे हैं। 137 प्रकरण अपर कलेक्टर न्यायालय में और 15 सीजेएम कोर्ट में दर्ज कराए गए हैं

दूध में  36 फीसदी मिलावट
पैक करके रखा पनीर
मुरैना. मिलावट की यह स्थिति को केवल दुग्ध उत्पादों और खाद्य तेलों के मामले में ही है। अन्य खाद्य सामग्रियों की तो पर्याप्त संख्या में सैंपलिंग ही नहीं हो पाती है।
खाद्य सुरक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 9 नवंबर 2020 से 31 दिसंबर 2021 के बीच खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम ने कुल 622 नमूने संकलित किए। इनमें से 551 की रिपोर्ट पाप्त हुई है और इसमें 200 नमूनों की जांच रिपोर्ट अमानक स्तर की पाई गई है। यह आंकड़ा कुल प्राप्त जांच रिपोर्ट के आधार पर 36.5 प्रतिशत होता है। चिंता की बात यह है कि दुग्ध उत्पादन के मामले में मुरैना जिला अग्रणी माना जाता है। रोज औसतन 12 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, लेकिन इसके बावजूद इसी में मिलावट के ज्यादा मामले सामने आते हैं। सरसों के तेल उत्पादन में भी मुरैना जिला पूरे संभाग में शीर्ष पर है, लेकिन इसमें भी मिलावट खूब की जाती है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने करीब 13 माह में दूध के 136 नमूने लिए, घी और परीर के 33-33 नमूने संकलित कर जांच को भेजे गए। जबकि मावा के 31 नमूने लिए गए। अन्य दुग्ध उत्पादों के भी 18 नमूने विभाग ने लिए। सरसों के तेल के 47 नमूने जांच को भेजे गए। लेकिन जब रिपोर्ट आई तो विभाग यह नहीं बता सका कि दूध, पनीर, मावा औेर सरसों के तेल के कुल कितने नमूने फेल हुए। लेकिन इतना तय है कि दूध और सरसों के तेल के कारोबार में मिलावट का प्रतिशत बढ़ा है। दुग्ध कारोबार करने वाले मयंक सिंह तोमर कहते हैं कि हम गांव के दूध उठाकर लोगों को गुणवत्ता बनाए रखते हुए वितरित करते हैं। गांव-देहात में काम करने वाले सामान्य पशु पालक और दूध कारोबारी भी केमिकल आदि नहीं मिलाते हैं, लेकिन बड़े कारोबारियों, डेयरी संचालकों के स्तर पर ऐसा किया जाना गलत है।
एडीएम कोर्ट से 60 प्रकरणों का निराकरण
मिलावट सिद्ध होने पर अपर कलेक्टर न्यायालय में खाद्य सुरक्षा विभाग ने कुल दर्ज 137 प्रकरण दर्ज कराए। इनमें से 60 प्रकरणों का अपर कलेक्टर न्यायालय से निराकरण किया गया। जबकि सीजेएम न्यायालय में 15 प्रकरण दर्ज कराए गए हैं। अपर कलेक्टर न् यायालय से तो सभी 60 प्रकरणों में निर्णय हो गया और सभी में दोष भी सिद्ध हो गया। लेकिन इसके बाद अन्य न्यायालीयन प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
1.79 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया
अपर कलेक्टर न्यायालय से हुए निर्णयों में 1 करोड़ 79 लाख, 10 हजार रुपए का जुर्माना किया गया। इसमें से 80 लाख रुपए से अधिक की राशि बतौर जुर्माना वसूल की जा चुकी है। 277 प्रकरण वसूली के लिए तहीसीलदारों को व अन्य राजस्व अधिकारियों को सौंपे गए हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग इनमें से 46 मामलों में करीब 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा चुका है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी धर्मेंद्र जैन के अनुसार बाकी मामलों में भी कानूनी कार्रवाई जारी है।
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