scriptभूखे गोवंश को दोपहर तक नहीं मिला भूसा, एक दर्जन की मौत | Hungry cows did not get straw till noon, a dozen died | Patrika News

भूखे गोवंश को दोपहर तक नहीं मिला भूसा, एक दर्जन की मौत

locationमोरेनाPublished: Oct 16, 2021 04:46:41 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

– सूखा भूसा मिलता है जेसीबी खराब होने पर वह भी नहीं मिला- गोवंश की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं था भूसा

भूखे गोवंश को दोपहर तक नहीं मिला भूसा, एक दर्जन की मौत

भूखे गोवंश को दोपहर तक नहीं मिला भूसा, एक दर्जन की मौत


मुरैना. देवरी गोशाला में कुप्रबंधन के चलते रोजाना कई गोवंश की मौत हो रही है। शनिवार को भी एक दर्जन गोवंश की मौत हो चुकी है। शहर से गोवंश को पकडक़र इसलिए गोशाला ला रहे हैं जिससे वहां उसका ठीक से पालन पोषण हो सके लेकिन यहां उल्टा हो रहा है, यहां गोवंश का पालन नहीं बल्कि आए दिन गोवंश काल के गाल में समा रहा है। यहां गोवंश को सूखा भूसा मिलता है वह भी पर्याप्त नहीं मिलता। शनिवार को जेसीबी मशीन खराब होने पर दोपहर १२ बजे गोवंश को चारा भी नहीं डाला गया है। यह तो गोशाला प्रबंधन का कहना है कि मशीन आज ही खराब हुई लेकिन गोवंश के खनोटे देखकर लगता है उनको चारा पहले से ही नहीं मिला है। खनोटे पूरी तरह साफ पड़े थे। गोवंश खनोटों के पास इसी आस में खड़ा था कि कब भूसा आए और पेट की आग बुझ सके।
देवरी गोशाला में कुछ दिन पूर्व कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने भी भ्रमण किया लेकिन व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हो सका। गोशाला की देखरेख के लिए करीब १६ कर्मचारी का स्टाफ तैनात है लेकिन शनिवार को प्रभारी, गार्ड सहित बमुश्किल पांच लोग गोशाला के अंदर काम कर रहे थे, अन्य कर्मचारी कहां पर काम कर रहे हैं, यह तो नगर निगम के अधिकारी ही जाने फिलहाल देवरी गोशाला की व्यवस्थाओं को देखकर लग रहा है यहां गोवंश का पालन पोषण नहीं बल्कि उनकी मौत का रास्ता तय किया जा रहा है। यहां तैनात पशु चिकित्सक भी अक्सर गायब मिलते हैं। जिस तरह की व्यवस्थाएं यहां की जा रही हैं, उससे लगता है कि गोशाला का संचालन मजबूरी में किया जा रहा है। यहां काम करने वाले कर्मचारी ड्यूटी के हिसाब से काम करते हैं, अगर मन में गोसेवा का भाव लेकर काम करें तो सुधार की संभावना हो सकती है।
ऐसे खुली गोवंश की मौत की पोल ……
देवरी गोशाला में रोजाना कई गोवंश के मरने की सूचना मिल रही थी। लेकिन सुबह होते ही उन मृत गोवंश को गोशाला के पिछले हिस्से में जमीन में गाढ़ दिया जाता था इसलिए पता नहीं चल पाता कि कितने गोवंश मरे हैं लेकिन शनिवार को जेसीबी खराब हो गई इसलिए मृत गोवंश को मौके से उठाया नहीं जा सका, तब तक पत्रिका प्रतिनिधि गोशाला पहुंच गए। और वहां देखा तो एक दर्जन गोवंश मृत अवस्था में पड़ा था और आधा दर्जन मरणासन्न हालत में था। इनमें से तीन गोवंश तो एक्सीडेंटल वार्ड के अंदर मृत पड़े थे और पांच गोवंश अन्य स्थानों पर मृत हुए, उनको उठाकर एक्सीडेंटल वार्ड के सामने सडक़ पर डाल दिया जिससे ये लगे कि ये एक्सीडेंटल थे जबकि उनकी मृत्यु सामान्यतौर गोशाला परिसर में होना बताया गया है। इसके अलावा एक गोवंश पीछे ट्यूबवेल के पास, एक गोशाला गेट के दाहिनी ओर, दो गोवंश अंदर टीनशेड के पीछे की साइड में मृत अवस्था में पड़े थे।
प्रशासन की प्लानिंग हुई ठप………..
गोशाला के विकास को लेकर प्रशासन की प्लानिंग ठप हो गई। पूर्व में गोशाला को लेकर बैठक हुईं जिनमें बड़ी प्लानिंग तैयार की गई। गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन मंगाई गई, वहीं कंडे बनाकर बेचने की प्लानिंग भी तैयार की गई थी जिससे गोशाला की आय बढ़ाई जा सके लेकिन सभी प्लानिंग धरी रह गईं। वर्तमान आयुक्त भी गोशाला की स्थिति सुधारने के लिए काफी छटपटा रहे हैं लेकिन उनकी कार्यशैली के चलते व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं।
मृत गोवंश को नोंच रहे जंगली जानवर व पक्षी ……..
देवरी गोशाला में मृत गोवंश को पहले जमीन के अंदर अलग अलग गहरा गड्ढा करके मिट्टी से दबा देते थे लेकिन इस बार एक ही गड्ढे में बड़ी संख्या में मृत गोवंश को डाल दिया जाता है, उसको मिट्टी से दबाया नहीं जा रहा इसलिए मृत गोवंश को जंगली जानवर व पक्षी नोंच नोंच कर खा रहे हैं। शनिवार की सुबह भी खुले गड्ढे में पड़े मृत गोवंश को पक्षी नोंच रहे थे।
कथन
– देवरी गोशाला में मशीन खराब होने और गोवंश के मरने की मुझे जानकारी नहीं हैं, मैं दिखवा लेता हूं।
संजीव कुमार जैन, आयुक्त, नगर निगम
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