जिले भर में खुल तो सरकारी स्कूल भी रहे हैं, लेकिन वहां ज्यादा बच्चे नहीं जा रहे। गर्मियों की छुट्टियोंं लर्निंग के लिए कोर्स पूरा कराने की कवायद के नाम पर निजी स्कूलों में बच्चों को बुलाया जा रहा है। सुबह सात बजे से भी पहले घर से निकलने वाले बच्चे दोपहर में एक से दो बजे के बीच लौटते हैं तो धूप और गर्मी से उनका बुरा हाल हो जाता है। तीसरी कक्षा के छात्र नितिन के पिता सोमेश कहते हैं कि दोपहर एक से डेढ़ बजे के बीच जब बच्चा लौटता है तो बेदम सा हो जाता है। एक घंटे में कूलर की हवा में बैठने और ठंडा पानी पीने के बा नार्मल हो पाता है। लेकिन स्कूल भेजना बंद नहीं कर सकते। स्कूलों में अप्रैल माह में पढ़ाई-लिखाई भी करवा रहे हैं। यदि दो दिन भी बच्चे को स्कूल न भेजें तो कोर्स पिछडऩे का डर लगा रहता है। वहीं पांचवीं कक्षा के छात्रा अनन्या के पिता प्रवेश शर्मा कहते हैं कि शिक्षा विभाग और प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। शिक्षा विभाग के इस तर्क को कोई मानने को तैयार नहीं है कि स्कूलों की टाइमिंग सुबह सात से 12 बजे तक कर दी है। क्योंकि बच्चे तो दोपहर में दो बजे तक ही लौट पाते हैं। इसके अलावा इन दिनों तो दोपहर 12 बजे तक भी गर्मी असहनीय हो जाती है। अभिभावक को बच्चों को प्रतियोगिता में पिछडऩे से बचाने के लिए किसी भी परिस्थिति में स्कूल भेजते ही हैं।
बच्चों की क्षमता के हिसाब से ज्यादा गर्मी या सर्दी पर स्कूलों में अवकाश घोषित करने का निर्णय तो शिक्षा विभाग एवं प्रशासन को करना चाहिए। हालांकि सरकारी स्कूलों में भी एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हुआ था, लेकिन वहां बच्चे कम जा रहे हैं। शासकीय माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक में गुरुवार को सुबह करीब साढ़े 11 बजे स्टॉफ तो मौजूद था, लेकिन बच्चा एक भी नहीं था। हालांकि हाइस्कूल में विद्यार्थी अध्ययन कर रहे थे।
रोज 2.5 डिग्री सेल्सियस चढ़ा पारा
पिछले छह दिन में अधिकतम तापमान औसतन रोज 2.5 डिग्री सेल्सियसत के मान से ऊपर चढ़ा है। 18 सितंबर को दिन का तापमान 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो 24 को 44 तक पहुंच गया। रात में भी 30 डिग्री तक तापमान हो गया था। लेकिन गुरुवार को न्यूनतम तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। दिन में पारा 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद गुरुवार को दोपहर बाद आसमान में बादल भी छाने लगे। लेकिन ऐसे में उमस का ज्यादा अहसास हुआ।
खाने का मैन्यू बदला
बच्चों को भीषण गर्मी के प्रभाव से बचाने के लिए अभिभावकों ने खाने-पीने का मैन्यू बदल दिया है। सुबह ठंडा दूध और फल के साथ ही दोपहर में दही व हरी सब्जियां दी जा रही हैं। दलिया और खिचड़ी भी खाने में दी जा रही है। तीसरी कक्षा के विद्यार्थी अंकित की मां मीनाक्षी का कहना था कि बच्चे मानते नहीं हैं, लेकिन गर्मी में परेशानी न हो इसलिए खाने-पीने का सिस्टम बदल लिया है। ग्लूकोज के साथ नीबू पानी एवं मौसमी फल भी दे रहे हैं। चिकित्सकों ने भी सीधे धूप के संपर्क में आने से बचाव और खाने-पीने में बासी, गरिष्ठ और ज्यादा खाने से बचने की सलाह दी है।
गर्मी को देखते हुए स्कूलों का समय तो पहले ही बदला जा चुका है। अब स्कूलों में दो-चार दिन की पढ़ाई और बची है, एक मई से ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित ही होना है। फिर भी यदि कलेक्टर के निर्देश होंगे तो अमल करेंगे।
सुभाष शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी मुरैना