मुरैना से लेकर मथुरा तक तीन टोल मिलते हैं उन पर किसी पर भी जाम नहीं रहता और फास्टैग वाले वाहन तो आसानी से निकल रहे हैं लेकिन मुरैना टोल पर फास्टैग वाले वाहनों को भी काफी लंबे समय तक वेट करना होता है। छौंदा टोलटैक्स पर न तो फास्टैग वाले वाहन और न एंबुलेंस के निकलने की कोई सुविधा है। लोगों का कहना हैं कि फास्टैग लेने से फायदा क्या हुआ। यहां निकलने के लिए पूर्व की तरह लाइन में ही लगना पड़ रहा है। अर्थात यह कहें कि छौंदा टोल पर फास्टैग मजाक बनकर रह गया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। अगर जाम लगता है या फिर एंबुलेंस फंसी है तो टोल स्टाफ भी प्रयास नहीं करता। जिस प्रक्रिया के तहत जाम खुलता है, उसी के हिसाब से खुलता है लेकिन स्टाफ आगे बढक़र नहीं आता।
थैले में रखे घूम रहे फास्टैग छौंदा टोल पर दो टीम ग्वालियर की अलग-अलग कंपनियों की है। इनकी न कोई दुकान हैं और कोई स्थान, वह तो थैले में फास्टैग कार्ड रखे हुए हैं और अपने मोबाइल से केबाइसी करके कार्ड थमा देते हैं। ये ’यादातर बाहर की गाडिय़ों से ’यादा पैसे लेकर फास्टैग इश्यू कर रहे हैं। वहीं छौंदा गांव के पास टोल के नजदीक एक गुमटी में भी फास्टैग दिया जा रहा है, यहां भी 100 से 200 रुपए तक वसूल किए जा रहे हैं। यहां से निकलने वाले वाहन चालकों को ट्रिपल मार झेलनी पड़ रही है। एक तो टोल पर डबल चार्ज और फिर फास्टैग के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। अगर किसी के घर में कोई अवैध वसूली करता है तो जिम्मेदारी तो घर मालिक ही होगी। इसी तरह टोल नाके पर फास्टैग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। टोल कर्मचारियों का कहना था कि फास्टैग लगाने वाला एक-एक व्यक्ति शाम तक पांच हजार रुपए कमाकर ले जा रहा है।
टोल पर फास्टैग के नाम पर अवैध वसूली! छौंदा टोल टैक्स पर फास्टैग के साथ केबाइसी करने के नाम पर 50, 100 और 300 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। एक तरफ टोल पर फास्टैग नहीं होने पर डबल चार्ज की रसीद कटती है तभी वहां खड़े कुछ लोग उन वाहनों वालों से बात करते हैं। डबल चार्ज लगते ही गाड़ी वाले का फास्टैग याद आ जाता है। लेकिन ये फास्टैग लगाने वाले डेढ़ सौ पर 50 रुपए और ढाई सौ पर 100 और इसी तरह जैसे जैसे बैलेंस बढ़ाकर फास्टैग लिया जाता है, उसी हिसाब से वसूली कर रहे हैं। अधिकांश गाड़ी वालों को नहीं पता कि फास्टैग कहां और कितने में मिलता है, जबकि सरकार के निर्देश हैं कि मार्च तक फास्टैग फ्री मिलेगा।
फास्टैग अनिवार्य से रहवासी परेशान फास्टैग अनिवार्य होने से वह लोग परेशान हैं जिनका टोल के नजदीक निवास है या फिर फैक्ट्री या दुकान हैं। ऐसे लोगों को दिन में बार-बार आना जाना पड़ता है। खासकर नगर निगम सीमा में लोग रह रहे हैं, उनको भी अपनी गाड़ी का डबल चार्ज देना पड़ रहा है। अगर नहीं देते हैं तो वहां तैनात गार्ड झगड़े पर उतारू हो जाता है।
-छौंदा टोल नाके पर रोजाना एंबुलेंस जाम में फंस रही हैं। वहां एंबुलेंस को जल्दी निकालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। रविवार को एक्सीडेंट के गंभीर मरीजों को उल्टी साइड से लेकर आना पड़ा, उसमें भी रिस्क रहती है।
शिवकांत उपाध्याय, जिला प्रभारी, 108 एम्बूलेंस – -70 रुपए के डबल 140 रुपए लिए जाते हैं, तो जाम लग जाता है। एम्बूलेंस के लिए हम क्या करें, आगे जाम होगा तो एंबुलेंस तो फंसेगी ही। रही बात फास्टैग के नाम पर वसूली करने की तो हमसे गाड़ी वाले शिकायत करें। अगर हमारे टोल पर अगर कोई भी खड़ा हो जाए वह फास्टैग बना रहा है, जरूरी थोड़े ही कि वह हमारे ही लोग हों।
एसएन बरुआ, जनरल मैंनेजर, पाथवे इंडिया