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गुड़ का कभी होता था निर्यात, अब पूर्ति तक नहीं

locationमोरेनाPublished: Nov 20, 2017 10:42:04 pm

सुगर फैक्ट्री बंद होने से 97 फीसदी तक घटा गन्ने का रकबा

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ट्रक से उतरता बाहर से आयात किया गया गुड़।

सूरज मरैया
जौरा. जौरा कभी गुड़ की खान कहा जाता था, जहां सैकड़ों क्विंटल गुड़ का निर्यात दूसरे शहरों व प्रांतों तक किया जाता था, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि जौरा क्षेत्र में गुड़ बाहर से मंगाकर पूर्ति करनी पड़ रही है। दरअसल यह स्थित सुगर फैक्ट्री के बंद होने के बाद गन्ना उत्पादन से किसानों का मोहभंग होने के बाद निर्मित हुई है।
जौरा क्षेत्र में 10 वर्ष पूर्व तक गुड़ का निर्यात किया जाता था। हर दूसरे दिन जौरा क्षेत्र से लगभग 62,500 किलो गुड़ दूसरे प्रांतों व शहरों में भेजा जाता था, लेकिन अब आलम यह है कि दूसरे शहरों से गुड़ जौरा की पूर्ति के लिए मंगाया जा रहा है। वर्तमान में डबरा, इटावा, नरसिंहपुर के कटेली कस्बे से गुड़ का आयात करना पड़ रहा है। 10 वर्ष पूर्व जौरा, कैलारस, पहाडग़ढ़ व सबलगढ़ क्षेत्र में 2218 हेक्टेयर रकबा गन्ने का हुआ करता था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह घटकर महज 65 हेक्टेयर पर आ गया है। किसानों का गन्ना से सुगर फैक्ट्री बंद होने से मोहभंग हो गया। फैक्ट्री बंद होने से किसानों को गन्ना बेचने के लिए कोई भी जगह नहीं बची। जिसकी वजह से उन्होंने उत्पादन करना भी बंद कर दिया। दूसरी तरफ गन्ना की फसल में लागत ज्यादा आने की वजह से भी किसानों ने इससे परहेज करना शुरू कर दिया। पानी व बिजली की कमी भी एक बड़ी वजह सामने आई है, क्योंकि गन्ना उत्पादन के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में बिजली के न होने पर किसानों को डीजल पंप से पानी देना पड़ता था, जिससे इसकी लागत काफी बढ़ जाती थी। एक बीघा खेत में डीजल पंप से खेती करने में लगभग 40 हजार रुपए का खर्चा आता है वहीं बिजली से पानी देने में महज २५ हजार रुपए खर्च होते हैं उत्पादन लगभग 80 हजार रुपए का होता है। सबसे ज्यादा प्रभाव सुगर फैक्ट्री का पड़ा। हालांकि अब प्रशासन फिर से सुगर फैक्ट्री को चलाने के मूड में दिखाई दे रहा है, लेकिन इसकी रूपरेखा तय नहीं हो पा रही है। जब-जब सुगर फैक्ट्री चालू हुई है तब-तब गन्ने का उत्पादन भी बढ़ा है। 2007 तक फैक्ट्री चलने से इसका उत्पादन 2218 हेक्टेयर तक होता था। इसके बाद बंद हो गई। जिसे 2009-10 में फिर शुरू किया गया, जिससे एक बार फिर उत्पादन बढ़कर 8५० हेक्टेयर हुआ, लेकिन अब लगभग समाप्त ही हो गया है।
यू घटा गन्ने का रकबा
वर्ष रकबा (हेक्टेयर में)
2007 2218
2008 1012
2009 417
2010 850
2011 705
2012 804
2013 453
2014 414
2015 501
2016 167
2017 65
कथन
सुगर फैक्ट्री के बंद होने से गन्ने के रकबा पर प्रभाव पड़ा है। किसानों को गन्ना बेचने के लिए जगह नहीं बची। इसलिए अब कम होता जा रहा है।
आरएस तोमर, एसएडीओ, सहायक संचालक कार्यालय गन्ना, कैलारस
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