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216 लाख रुपए की लागत से बनी प्रयोगशालाएं, जर्जर होने लगीं

locationमोरेनाPublished: Jan 17, 2022 06:42:07 pm

Submitted by:

Ravindra Kushwah

कृषि भूमि में पोषक तत्वों की जांच और रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक, बीज और कीटनाशकों का संतुलित उपयोग कर लागत कम करने की सरकारी मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है।

मिट्टी  परीक्षण प्रयोगशाला

जिला मुख्यालय पर प्रयोगशाला

रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. जिले में करीब 3 लाख किसान परिवार हैं और अब तक 1.68 लाख के करीब किसानों को ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिल पाए हैं। मैदानी अमला किसानों को न तो इसकी जानकारी दे पा रहा है और न ही विकासखंड स्तर पर मृदा परीक्षण हो पा रहा है।
शासन ने विकासखंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पांच साल पहले सभी विकासखंड मुख्यालयों पर 2.16 करोड़ रुपए खर्च करके प्रयोगशालाओं के लिए भवनों का निर्माण करवाया था। लेकिन यहां तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकीं, इसलिए प्रयोगशाला भवन भी अनुपयोगी पड़े हैं। छह विकासखंड मुख्यालयों पर निर्मित प्रयोगशाला भवनों का कई जगह दूसरे कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। उपयोग न होने से भवन भी जर्जर होकर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी अमले की व्यवस्था शासन स्तर से ही कराई जानी है। जैसे ही इंतजाम हो जाएगा, प्रयोगशालाओं का विधिवत संचालन शुरू करवा दिया जाएगा। लेकिन यह कहानी भी पिछले पांच साल से बताई जा रही है, लेकिन काम नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ी समस्या जिला मुख्यालय पर तकनीकी तरीके से संग्रहित करके नमूने जांच के लिए नहीं आ पाते।
जिला मुख्यालय आना पड़ता है जांच को
खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है, कौने से तत्व अधिक हैं। उनका संतुलन कैसे किया जाए, यह जानकारी मिट्टी के परीक्षण के आधार पर प्रयोगशाला से मिलती है। किसान इसके आधार पर प्रबंधन कर खेती की लागत को भी संतुलित कर सकते हैं, लेकिन जांच विकासखंड स्तर पर हो ही नहीं पा रही है। इसीलिए खरीफ हो या रबी फसलों का सीजन पिछले कुछ समय समय से खाद का संकट भी गहराता है।
16 पोषक तत्वों की वास्तविकता पता चलती है
मिट्टी का प्रयोगशाला में परीक्षण करवाने पर 16 प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और अधिकता के बारे में किसानों को जानकारी मिलती है। इनमें सल्फर, पोटाश, मैग्निीशियम, कैल्सियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन प्रमुख हैं। अधिकांश पोषक तत्व खेत की मिट्टी में मौजूद रहते हैं, लेकिन कमी या अधिकता और बाकी तत्वोंं की पूर्ति के लिए खाद, कीटनाशक एवं अन्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। कुछ समय पहले तक हुई जांच में मिट्टी में सल्फर सहित अनेक पोषक तत्वों की कमी पाई गई थी।
लगभग आधे किसानों पर नहीं मृदा स्वास्थ्य कार्ड
जिले में करीब तीन लाख किसान परिवार हैं। 2.18 लाख से अधिक किसान परिवार तो पीएम किसान सम्मान निधि के लिए प्रथम किस्त के लिए ही पंजीकृत हुए थे। लेकिन मृदा स्वास्थ्य कार्ड तो 1.68 लाख 575 किसानों के ही बन पाए हैं। कोरोना काल शुरू होने के बाद वर्ष 2019 के अंत से परीक्षण और नमूने संकलन का कार्य बंद ही है।
कितने नमूने आए, कितनी हुई जांच, कितनेे बने कार्ड
वर्ष नमूने विश्लेषण कुल कार्ड
2015-16 14070 13210 21381
2017 47531 22496 75083
2017-18 15608 15608 46303
2019 16675 12573 25808
कुल 93884 63887 168575
कथन-
चार साल पहले पता चला था कि विकासखंड मुख्यालय पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला शुरू की जा रही है। अब तक नहीं हो पाई। हमें यह बताया भी नहीं जाता कि नमूने कैसे लेने और कहां परीक्षण कराने हैं। कृषि विभाग के मैदानी अमले को किसान जानते तक नहीं हैं।
मेहताब सिंह तोमर, किसान, पोरसा।
कथन-
विकासखंड मुख्यालयों पर तकनीकी अमले और उपकरणों की कमी के कारण जांचें नहीं हो पा रही हैं। जिला मुख्यालय पर भी वर्ष 2019 के बाद से कोरोना की वजह से न नमूने आ रहे हैं, न जांच हो पा रही हैं। अब तक 1.68 लाख से ज्यादा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जा चुके हैं।
प्रदीप कुमार गुप्ता, एसएडीओ, कार्यालय, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी, मुरैना
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