वनागमन के दौरान भगवान श्रीराम ने लिया ऋषि-मुनियों का आशीर्वाद
मोरेनाPublished: Nov 23, 2020 11:22:08 pm
श्रीदाऊजी धाम मुरैना गांव में चल रही रामलीला
मुनि आश्रम में बैठे श्रीराम, लक्ष्मण व सीता।
मुरैना. श्री दाऊजी धाम मुरैना गांव में रविवार की रात रामलीला में मुनि मिलन की लीला दिखाई गई थी। श्री चित्रकूट धाम में विराजमान वनवासी भगवान श्री रामचन्द्र ने एक बार अपने हाथों से पुष्पों के गहने बनाकर सीताजी को पहनाए और स्फटिक शिला पर बैठ गए। उसी समय जयंत नाम का इंद्र का मूर्ख पुत्र श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए वहां गया, जहां सीताराम विराजित थे। अवसर पाकर उसने सीताजी के चरणों में अपनी चोंच से प्रहार किया। सीताजी के चरणों से रक्त बहने लगा। श्रीराम ने देखा कि यह धृष्टता जयंत ने की है, जो कौआ बनकर आया था। तब श्रीराम ने एक सींक का अपने धनुष से संधान किया, जिससे यह कौआ हमारे प्रभाव को जान सके। वह सींक का बाण कौए के पीछे-पीछे जा रहा है। कौआ घबरा कर ब्रह्म लोक ब्रह्माजी की शरण गया, शिवलोक गया। किसी ने भी उसकी रक्षा नहीं की, क्योंकि श्रीराम के द्रोही को कोई शरण नहीं देता। तब यह नारदजी की शरण में गया। नारदजी ने उसको समझा कर पुन: भगवान श्रीराम की शरण में जाने को कहा। वह कौआ पुन: श्रीराम की शरण में आया और पुकारने लगा कि हे राम मुझे बचाओ। तब श्रीराम ने उसके ऊपर कृपा की और उसके अज्ञान रूपी एक नेत्र को बाण से फोड़ दिया। इसके बाद भगवान अत्रिजी के आश्रम पहुंचे। ऋषि ने उनका सत्कार किया, पूजा की। कंद मूल फल खिलाए। इसके बाद अत्रिजी ने उनकी प्रार्थना की। भगवान ने उनको अपनी भक्ति प्रदान की। उसके बाद अत्रि भार्या अनुसुइया ने पुत्रीवत सीताजी का स्वागत किया। उनको नारी धर्म बताया। उन्होंने कहा कि हे राजकुमारी, संसार में पतिव्रता स्त्रियां चार प्रकार की होती हैं। जो स्वप्न में भी पर पुरुष का चिंतन नहीं करतीं। उन्होंने चारों पत्नियों के बारे में बताया। जो स्त्री अपने पति को ही सर्वस्व समझती है, वह हमेशा सुखी रहती है। स्त्रियों का तो धर्म, नेम, व्रत सब पति सेवा ही है। पति चाहे वृद्ध हो, रोगी हो, मूर्ख हो, गरीब हो, अंधा हो, बहरा हो, कैसा भी हो, उसकी सेवा करनी चाहिए। जो स्त्री पति से विमुख रहती है, वह नरक गामिनी होती है। इसके बाद ऋषि को प्रणाम करके भगवान आगे बढ़े।