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हालांकि खुलकर बोलने में अभी भी झिझकती हैं, लेकिन वे वोट डालने के लिए जरूर जाएंगी। महिला बाल विकास की पोरसा परियोजना के अधिकारी डॉ. मनोज गुप्ता कहते हैं कि जागरुकता रैलियां, पोस्टर, निबंध, भाषण प्रतियोगितएं तो होती रहती हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पहुंच घरों तक बहुत प्रभावी है।
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वे महिला मतदाताओं को मतदान के लिए मानसिक रूप से तैयार कर सकती है। इसकी वजह है रोज उनके साथ उठना-बैठना और दुख-दर्द में शामिल होना।
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इसलिए पूरे परियोजना क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मतदाताओंं के दिमाग में प्रभाव छोडऩे वाले स्लोगन के साथ आमंत्रण-पत्र दिए जा रहे हैं। इससे घरों तक ही सीमिति रहने वाली महिलाएं अब चौपाल पर भी निकलकर चर्चा कर रही हैं।