निगम आयुक्त को हड़काया, एडीएम से कहा- हस्तक्षेप करें
सफाईकर्मियोंं की हड़ताल की वजह से शहर में बिगड़े सफाई के हालात पर संभागायुक्त रेनू तिवारी ने सोमवार को संज्ञान लिया। अखबारों में प्रकाशित खबरों और अधिकारियों मिले फीडबैक के आधार पर आयुक्त ने नगर निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा को हड़काया। आयुक्त ने कहा कि कम वेतन पर काम करने वाले सफाईकर्मियों को समय पर वेतन क्यों नहीं मिला? यदि अधिकारियों को वेतन नहीं मिले तो उनकी भी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। आयुक्त ने कहा कि समस्या का आज ही निराकरण करें वरना वे शासन स्तर पर बात करेंगी और इसके लिए निगम के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। संभागायुक्त ने कलेक्टर की अनुपस्थिति में अपर कलेक्टर एसके मिश्रा को भी तलब किया। एडीएम को निर्देश दिए कि किसी भी स्थिति में कर्मचारियों का वेतन भुगतान कराएं और समस्या का निदान कराएं।
शहर में 350 टन कचरा जमा
चार दिन से सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से शहर कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है। निगम के अधिकृत आंकड़ों में ही प्रतिदिन पूरे निगम क्षेत्र से औसतन 85 से 90 टन कचरा निकलता है। इसमें 47 वार्डों में घर-घर संग्रहण से एकत्र होने वाला कचरा भी शामिल है। यह कचरा ग्वालियर की ईको ग्रीन कंपनी प्रतिदिन ग्वालियर ले जाती है।
फैक्ट फाइल
50 टन कचरा औसतन प्रतिदिन निकलता है शहर से।
40 टन के करीब ही कचरा उठाता है निगम अमला।
08 जेसीबी लगाई जाती हैं सफाई व्यवस्था में।
700 से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं निगम में
03 दिन से शहर में नहीं लग रही झाड़ू, कचरा भी नहीं उठ रहा।
150 टन से ज्यादा कचरा जमा हो चुका है शहर की सडक़ों और गलियों में।
काट ली थी चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि
कर्मचारियों के पीएफ का पैसा जमा नहींकराने पर बतौर पैनल्टी शासन ने निगम को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में से इसे समायोजित कर लिया था। इस वजह से निगम को करीब तीन करोड़ रुपए नहीं मिल पाए। आर्थिक तंगी यहीं से शुरू हुई और सफाई कर्मचारियों सहित अन्य का वेतन लटक गया।
सफाई कामगारों की मांग जायज है, पूर्व में अधिकारियों के कुप्रबंधन के कारण वित्तीय संकट के चलते यह समस्या आई। हमने शनिवार को ही अधिकारियों को बोला था, लेकिन आज अवकाश से वेतन भुगतान नहीं हो पाया। कोशिश होगी कि सोमवार को भुगतान हो जाए। तेल-साबुन और कुछ अन्य समस्याओं को पहले ही एमआईसी में हल करने का निर्णय हो चुका है।
अशोक अर्गल, महापौर मुरैना
रोज सुबह झाड़ू लग जाती थी जिससे सडक़ें साफ दिखती थीं। कचरा संग्रहण वाहन घरों से कचरा उठा ले जाते थे। लेकिन तीन दिन में शहर कचरे का ढेर लगने लगा। घरों के बाहर लोग सडक़ों पर झाड़ू तक नहीं लगा पा रहे हैं। यही हालात रहे तो शहर में गंदगी और बदबू से महामारी का खतरा बढ़ जाएगा।
दुष्यंत, रहवासी गांधी कॉलोनी
हमारी मांगें शासन नहीं निगम स्तर की हैं
हमारी मांगे शासन स्तर की नहीं हैं। उन्हें तो निगम व एमआइसी स्तर पर ही निपटाया जा सकता है। लेकिन हड़ताल के तीन दिन बाद भी शासन, प्रशासन और निगम की ओर से इसे खत्म कराने की कोई पहल नहीं हुई है। हमने तय कर लिया है जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती हैं, हम नहीं हटेंगे चाहे हमको जेल भी जाना पड़े।
भगवानदास दोदेरिया संभागीय अध्यक्ष अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ