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प्रभावित हो सकती है सरसों की बोवनी

locationमोरेनाPublished: Sep 20, 2020 11:55:19 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

१८ दिन से नहीं हुई बारिश, खरीफ के साथ रबी फसलों पर भी संकट

प्रभावित हो सकती है सरसों की बोवनी

प्रभावित हो सकती है सरसों की बोवनी

मुरैना. अब अच्छी बारिश की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में बढ़ते तापमान की वजह से खेतों की नमी तेजी से नीचे जा रही है। इसका असर न केवल बाजरा की पछेती फसलों पर प्रतिकूल पड़ रहा है बल्कि रबी फसलों की बोवनी की तैयारी भी रुक गई है। यदि नहरों से जल्दी और पर्याप्त पानी नहीं मिला तो रबी फसलों का रकवा प्रभावित हो सकता है, खास तौर से सरसों की बोवनी पर ज्यादा असर होगा।
कृषि विभाग ने मौसम की प्रतिकूलता देखते हुए अभी रबी फसलों के लिए बोवनी का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। माना जा रहा है कि 2.70 लाख हेक्टेयर के आसपास रबी फसलों की बोवनी का लक्ष्य तय किया जा सकता है। वास्तविक लक्ष्य एपीसी की संभाग स्तर पर बैठक के बाद घोषित किया जाएगा। इसमें नहरों से पानी की उपलब्धता, नलकूपों से सिंचाई के प्रबंध, डैम और तालाबों से वैकल्पिक इंतजाम सहित सभी स्रोतों की स्थिति का अध्ययन भी शामिल रहेगा। रबी फसलों की बोवनी इस बार लक्ष्य से थोड़ा अधिक करीब 2.22 लाख हेक्टेयर में हुई है। इसमें सर्वाधिक 1.71 लाख हेक्टेयर के करीब बाजरे की फसल है। बाजरे की फसल का अंकुरण, वृद्धि सब कुछ सही हो रहा था, लेकिन अब इल्ली का प्रकोप हो गया है। प्रारंभिक तौर पर ही 10 से 30 फीसदी तक प्रकोप माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि कहीं-कहीं 50 प्रतिशत तक नुकसान है।
किसान बृजकिशोर सिंह कहते हैं कि कई जगह बाजरे की फसल फूल पर है और कई जगह कट भी चुकी है। लेकिन जहां बाजरे की फसल में बालियां निकलने के बाद दाना बनने की स्थिति है, वहां इल्ली से नुकसान हो रहा है। किसान मुलायम सिंह कहते हैं कि बाजरे की फसल देखकर इस साल किसान प्रसन्न थे। रकवा अधिक होने के साथ ही वृद्धि भी अच्छी हुई थी और अतिवृष्टि, बाढ़ आदि की स्थिति भी नहीं बनी थी। लेकिन अब इल्ली के प्रकोप ने हालत खराब कर दी है। इसके साथ ही बारिश न होने से देर से बोई गई बाजरे और सोयाबीन की फसल पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। किसान इस सीजन में अपने नलकूप आदि कम ही चालू रखते हैं, ऐसे में समस्या गहरा सकती है।
फिलहाल नहीं बारिश के आसार: शुक्रवार को बारिश के आसार थे, लेकिन दिन में बादल छाने और कुछ बूंदें पडऩे के बाद उमस बढ़ गई जबकि गर्मी से कोई राहत नहीं मिली। अब 23 सितंबर तक एक से तीन एमएम तक बारिश की संभावना जताई जा रही है, लेकिन इससे न तो खरीफ फसलों को कोई लाभ मिलेगा और न ही रबी की तैयारियों में इससे सहायता मिलेगी। क्योंकि सामान्य तौर पर जहां तक सरसों आदि का बीज डाला जाता है वहां तक खेतों की मिट्टी में नमी है ही नहीं। हालांकि आंचालिक कृषि अनुसंधान केंद्र के पूर्वानुमान में 19 सितंबर को दो, 20 को एक और 23 सितंबर को तीन एमएम तक बारिश की संभावना बताई गई है।
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