32 करोड़ की जमीन दबाई एनएचएआई ने, समझौता 10 तक आया, फिर भी भुगतान नहीं
आर्थिक तंगी के नाम पर महत्वपूर्ण और जन उपयोगी परियोजनाओं को अधर में लटकाने वाला नगर निगम की एनएचएआई से यातायात नगर की जमीन कब्जाने के बदले 32 करोड़ रुपए की राशि वसूलने के प्रति उदासीनता सवालों के घेरे में है। अधिकारी कोई ठोस जवाब देने की बजाय कवायद जारी रहने की बात कहकर पल्ला झाडऩे का प्रयास कर रहे हैं।
मोरेना
Published: May 04, 2022 05:48:22 pm
रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. एबी रोड के छौंदा टोल प्लाजा से सटी नगर निगम की करीब 96 हेक्टेयर भूमि है। इसमें करीब 8 हेक्टेयर जमीन पर एनएचएआई ने अवैध रूप से अपने प्रशासनिक ब्लॉक, जन सुविधा केंद्र एवं अन्य निर्माण कार्य कर लिए थे। जब नगर निगम को इसका आभास हुआ तो करीब पांच साल पहले तत्कालीन महापौर अशोक अर्गल के समय निर्माण कार्य तोडऩे के लिए हिटैची भी भिजवाई गई। बाद में तत्कालीन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता एवं बाद में विनोद शर्मा के हस्तक्षेप से इसमें समझौता हुआ और दबाई गई जमीन के बदले में एनएचएआई 32 करोड़ रुपए का भुगतान नगर निगम को करने के लिए सहमत हो गया था। लेकिन लंबे समय तक भुगतान नहीं हुआ तो नगर निगम ने दबाव बढ़ाया तो एक दल भी जांच के लिए आया और बाद में अधिकारियों के हस्तक्षेप से 32 करोड़ रुपए की जगह समझौता राशि 10 करोड़ रुपए तय हुई। लेकिन नगर निगम यह राशि भी नहीं वसूल पा रहा है।
तीन परियोजनाओं के लिए हो सकता है बजट का इंतजाम
यदि प्रारंभिक समझौते के अनुसार 32 करोड़ रुपए की राशि नगर निगम को मिल जाती तो इससे नाला नंबर एक का करीब 28 करोड़ रुपए का पूरा कार्य हो सकता था। वहीं वीआईपी रोड में बाधक एसएएफ के एक दर्जन पुराने आवासों को तोडऩे के बदले मांगा जा रहा 2.24 करोड़ रुपए का मुआवजा देकर इस परियोजन को भी पूरा किया जा सकता था। यातायात नगर के अधोसंरचना विकास कार्य के अटके भुगतान को पूरा करने में भी बड़ी मदद मिलती। यदि 10 करोड़ रुपए की राशि भी नगर निगम को मिल जाती तो यातायात नगर के अधोसंरचना विकास और वीआईपी रोड की बाधाओं को दूर करने के लिए मुआवजे की व्यवस्था हो सकती थी।
यातायात नगर में लोगों की दिलचस्पी कम हुई
एबी रोड से लगी यातायात नगर की अधिकांश जगह टोल प्रबंधन के उपयोग में होने से लोग वहां भूखंड खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। नगर निगम तीन बार यहां भूखंड बेचने का प्रयास कर चुका है। महंगी दर होने के बावजूद लोगों को एबी रोड साइट पर मनोनुकूल भूखंड नहीं मिल पा रहे हैं। अब खबर है कि टोल प्रबंधन आने वाले समय में एबी रोड के 6 लेन होने पर छौंदा पुल के आगे चला जाएगा, इसलिए अंत में हुए 10 करोड़ रुपए के समझौते को के अनुसार भी भुगतान नहीं करना चाह रहा है। प्रशासक आते नहीं इसलिए मनमानी पर आमादा
नगरीय निकायों की निर्वाचित परिषदें अस्तित्वहीन हो जाने के बाद नगर निगम में मनमानी कार्यप्रणाली पनप रही है। प्रशासक का प्रभार चंबल कमिश्नर को चला गया है। चंबल में कोई कमिश्नर एक साल से अधिक समय से नहीं है। ग्वालियर कमिश्नर पर चंबल संभाग के साथ मुरैना नगरनिगम प्रशासक का भी प्रभार है। ग्वालियर की भी यही जिम्मेदारी है। चार प्रमुख सीटों की जिम्मेदारी होने से वे मुरैना को एक माह में एक सप्ताह का समय भी नहीं दे पा रहे हैं। फाइलें देख नहीं पा रहे और वर्चुअल बैठकों में अधिकारी गुमराह कर रहे हैं।
फैक्ट फाइल
5 साल से चला आ रहा है यातायात नगर को लेकन ननि व एनएचएआई का विवाद।
8 एकड़ के करीब जमीन प्रारंभिक तौर पर उपयोग में ली थी एनएचएआई ने। 32 करोड़ रुपए भुगतान का समझौता हुआ था राजनीतिक व प्रशासनिक हस्तक्षेप से।
10 करोड़ रुपए तक बाद में आ गई थी समझौते की राशि, अब तक नहीं मिली।
45- करोड़ रुपए से हो रहा है यातायात नगर में अधोसंरचना विकास कार्य।
5 करोड़ रुपए से ज्यादा फंसा है कार्य करवाने वाले ठेकेदार का भुगतान।
9 करोड़ रुपए का भुगतान सीवर कंपनी को किया बजट का रोना रोने के बावजूद।
कथन-
एनएचएआई ने जो जमीन दबाई थी उसका समझौता 32 करोड़ में हुआ था। बाद में मार्गदर्शन के लिए फाइल शासन को भेजी गई तो 10 करोड़ में मामला तय हो गया था। उसके बाद किसी ने दिलचस्पी नहीं ली, अब यह संभाग आयुक्त स्तर का मामला है, उन्हें फुर्सत नहीं मुरैना आने की, इसलिए व्यावहारिक समस्याएं आ रही हैं।
अशोक अर्गल, पूर्व महापौर, ननि, मुरैना।

-हाइवे पर कराए गए निर्माण।
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