राज्य शासन के निर्देश पर जनवरी माह में आवारा गोवंश को पकडकऱ गोशाला में शिफ्ट करने की मुहिम नगर निगम ने चलाई थी। तत्समय एक सप्ताह के भीतर तकरीबन दो हजार गोवंशीय मवेशियों को गोशाला में भेजा गया। लेकिन इसके बाद यह मुहिम सुस्त पड़ गई। आलम यह कि पिछले तीन-चार महीने से तो नगर निगम ने एक भी मवेशी को नहीं पकड़ा। यही वजह है कि शहर के बैरियर चौराहा से लेकर मालगोदाम तिराहा तक एमएस रोड पर ही सैकड़ों की संख्या में आवारा मवेशी नजर आने लगे हैं। खासकर स्टेडियम के सामने, कोर्ट तिराहा, बिजलीघर, पुराना बस स्टैण्ड, अस्पताल के सामने, कलेक्टे्रट के सामने तो ये मवेशी झुण्ड के रूप में विचरण करते देखे जा सकते हैं। सडक़ों पर घूमते अथवा बेतरतीब ढंग से बैठे गोवंश के कारण यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। समस्या की जानकारी न सिर्फ नगर निगम के अमले को है, बल्कि प्रशासन व पुलिस के अधिकारी भी इस अव्यवस्था से अनजान नहीं हैं। लेकिन इसके निराकरण की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है।
गोशाला पर भी ध्यान नहीं
नगर निगम सिर्फ सडक़ों पर सक्रिय आवारा गोवंश को लेकर ही लापरवाह नहीं है, बल्कि देवरी स्थित गोशाला में जरूरी व्यवस्थाओं पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगातार डिमांड के बावजूद अब तक गायों के लिए टीन शेड का इंतजाम नहीं किया जा सका है। यही नहीं गोशाला परिसर में कीचड़ की समस्या का निराकरण भी नहीं किया जा सका है। खबर तो यह है कि यहां भूसा सप्लाई करने वाले ठेकेदार का भुगतान भी लंबे समय से अटका पड़ा है।
तीन माह से नहीं मानदेय
गोशाला में काम करने वाले लोग भी नगर निगम के रवैये से परेशान हैं। आलम है कि यहां काम करने वाले लोगों को नगर निगम ने पिछले तीन माह से मानदेय भी नहीं दिया है। बता दें कि गोशाला में तकरीबन दो दर्जन कर्मचारी मानदेय पर काम करते हैं। इन्हें पिछले मई माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि सफाई कर्मचारियों ने तो हड़ताल करके अपनी मांगें पूरी करा लीं, लेकिन हम तो गायों को छोडकऱ हड़ताल भी नहीं कर सकते। लगातार अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं की जा रही।