समय पर नहीं पहुंचे अधिकारी, इसलिए एक घंटे तक लगा रहा जाम
मोरेनाPublished: Oct 13, 2021 09:46:37 pm
– चक्काजाम कर रहे लोगों ने एसडीएम व आयुक्त के लिखित आश्वासन पर खोला था जाम
समय पर नहीं पहुंचे अधिकारी, इसलिए एक घंटे तक लगा रहा जाम
मुरैना. दिल्ली संसद की सुरक्षा में लगी सीआरपीएफ कंपनी के हवलदार मेजर वकील सिंह की हत्या के बाद बुधवार की सुबह शव मुरैना आया। शव प्रेम नगर घर पहुंचता उससे पहले जौरा रोड पर आक्रोशित परिजन व समाजबंधुओं ने जाम लगा दिया। परिजन मांग कर रहे थे कि मृतक वकील को शहीद का दर्जा देने, आरोपी आरक्षक को फांसी की सजा देने, शहर के किसी चौराहे पर वकील की प्रतिमां लगाने, प्रेमनगर का मार्ग वकील के नाम से रखे जाने की मांग की गई। और महत्वपूर्ण मांग थी कि कलेक्टर व एसपी मौके पर आकर हमको आश्वासन दें, तब जाम खोला जाएगा। भीड़ ने सडक़ पर रखे स्टॉपरों को उठाकर जौरा खुर्द रोड और महाराजपुर रोड पर लगाकर रास्ता जाम किया। सवा नौ बजे जाम शुरू हुआ अगर अधिकारी समय पर पहुंच जाते तो आमजन को परेशान नहीं होना पड़ता। करीब एक घंटे बाद एसडीएम संजीव कुमार जैन पहुंचे, उन्होंने हवलदार की प्रतिमां चौराहे पर लगाने और प्रेमनगर मार्ग को उसी के नाम पर किए जाने का लिखित आश्वासन दिया, उसके बाद जाम खुल गया। अगर एसडीएम समय पर पहुंच जाते तो इतने लंबे समय तक जाम नहीं लगता।
भाई से बोला था, दीपावली पर आऊंगा घर ………..
सीआरपीएफ में पदस्थ वकील सिंह टैगोर ने फोन पर अपने भाई शिवनाथ टैगोर को बताया था कि मैं दीपावली पर घर आऊंगा। लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। घर आने से तीन सप्ताह पहले उसका शव आया तो परिजन की आंखें भर आईं। शिवनाथ ने बताया कि वकील हम चार भाइयों में सबसे बड़े थे, पिता किसान हैं। इसलिए घर परिवार में कोई भी बड़ा निर्णय वकील से पूछकर ही लेते थे। शिवनाथ स्वयं रेलवे में हैं, उनसे छोटा भाई परीक्षत पढ़ाई कर रहे हैं और सबसे छोटा भाई ऊदल न्यायालय में बाबू है। वकील के स्वयं के दो बच्चे हैं। उसमें ११ साल की बच्ची और ८ साल का बच्चा है। पत्नी बच्चे दिल्ली में साथ ही रहते थे। शिवनाथ ने कहा कि मेरे भाई की आरक्षक अमन कुमार ने एकाएक हत्या की है, इससे पूर्व भाई वकील से कोई विवाद नहीं हुआ। अगर विवाद होता तो वह अपने बच्चों को तो बताते।
१७ साल पहले सैना में भर्ती हुआ था वकील ……
वकील सिंह टैगोर मूलतह कैमरा गांव का रहने वाला है। लेकिन उसके परिवार के पिछले आठ साल से सिविल लाइन थाना क्षेत्र के प्रेमनगर में मकान बनाकर रह रहा है। वकील ने वर्ष २००४ में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। तभी से अनुशासन में रहकर नौकरी करता रहा। वरिष्ठ अधिकारियों को कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दिया। उनके शव को लेकर मुरैना आए कमांडेंट विनोद कुमार त्रिवेदी ने भी वकील सिंह के कार्य की सराहना की।
आठ साल के मासूम ने दी चिता को मुखाग्नि ………
हवलदार वकील की सैनिक सम्मान के साथ प्रेम नगर में घर के पास ही अंत्येष्टि की गई। साथ में आए सीआरपीएफ के अधिकारी व जवानों के अलावा स्थानीय अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने पुष्प चक्र समर्पित किए और सैनिकों ने रायफल्स से अंतिम सलामी दी। चिता को मुखाग्नि वकील के आठ वर्षीय पुत्र संघराज ने दी। जब संघराज मुखाग्नि दे रहा था, उस समय परिवार के हर सदस्य की आंखे नम हो रही थीं।