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हे भगवान! अफसरों के बंगले में गड़बड़ी

locationमोरेनाPublished: Aug 13, 2020 11:20:18 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

विवादों में फंसा दिया शासन का एक करोड़ रुपया

हे भगवान! अफसरों के बंगले में गड़बड़ी

हे भगवान! अफसरों के बंगले में गड़बड़ी

रवींद सिंह कुशवाह मुरैना. अपने स्वार्थ के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग करना कोई नगर निगम से सीखे। एक दर्जन छोटी-बड़ी परियोजनाओं व कार्यों का इतना बुरा हश्र कम ही देखने को मिलता है। लेकिन यहां कमिश्नर कॉलोनी में महापौर और आयुक्त के नाम पर तैयार कराए गए आलीशान बंगले विवादों की वजह से दो साल से वीरान पड़े हैं।
सूत्रों के अनुसार कमिश्नर कॉलोनी में मेला मैदान के ठीक पीछे मुख्य रोड पर महापौर और आयुक्त के लिए आधुनिक सुविधाओं युक्त दो बंगले तैयार कराए गए। दोनों के निर्माण पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। सारा काम पूरा होने के बावजूद दो साल से उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। खंगालने पर पता चला है कि निर्माण के समय पदस्थ रहे जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने ही वरिष्ठों और महापौर के लिए तैयार होने वाले बंगलों के निर्माण कार्य में भी सरकारी कार्य प्रणाली अपनाई। गुणवत्तायुक्त सामग्री नहीं लगाने के साथ ही बंगलों के आसपास होने वाले गंदे नाले के पानी के निकास के इंतजाम की चिंता नहीं की गई। बंगले जब बनकर तैयार हुए तो उनकी निर्माण सामग्री भी घटिया पाई गई और वहां गंदगी और जल भराव की समस्या का निदान भी नहीं कराया गया। इसलिए वहां महापौर और आयुक्त रहने नहीं पहुंचे।
नाला निर्माण के साथ सडक़ भी बनेगी : अब एक बार फिर से नवनिर्मित बंगलों की कानूनी और व्यावहारिक अड़चनों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि महापौर और आयुक्त के आवासों के पास भरने वाले नाले के गंदे पानी की व्यवस्थित निकासी के लिए नया नाला बनवाया जाएगा। सामने नई सडक़ भी बनाई जाएगी। हालांकि पुराने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कोर्ट के सामने से एबी रोड तक कुछ समय पहले ही घटिया सडक़ निर्माण कार्य हुआ था। लेकिन सरकारी धन का दुरुपयोग एक बार फिर होगा।
राशि पूरी खर्च फिर दो बंगले घिरे

महापौर और आयुक्त के लिए बंगले तैयार करने पर पूरी क्षमता से राशि खर्च की गई, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसे में महापौर ने मां ज्ञानेश्वरी मंदिर रोड पर वाटरवक्र्स कॉलोनी में और आयुक्त ने चंबल कॉलोनी के पीछे सरकारी आवास अपने नाम आवंटित कराया है। यदि निगम द्वारा बनवाए गए बंगलों का उपयोग हो जाता तो यह सरकारी आवास किन्हीं अन्य अधिकारियों को दिए जा सकते थे।
करोड़ों के प्रोजेक्ट लटके

शहर में सबसे पहले तीन आदर्श सडक़ोंं का निर्माण कराया गया। इनमें स्टेशन रोड, महामाया रोड और वनखंडी रोड शामिल थे। करीब 12 करोड़ के इन प्रोजेक्ट में स्टेशन रोड को छोड़ दिया जाए तो बाकी दो प्राक्कलन के अनुसार नहीं बनीं। कहीं अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका, कहीं अपने चहेतों को उपकृृृृत किया गया। इसी प्रकार वीआईपी रोड भी 70 प्रतिशत पूरी होने के बाद अटक गई है। एक करोड़ के बंगले अटक गए हैं और 45 करोड़ का यातायात नगर भी कई सालों से अधर में लटका है। 21 करोड़ के नाला नंबर एक पर भी काम बेपटरी हो गया है।
साडा के तहत प्लॉटिंग भी हुई थी

जहां महापौर व आयुक्त के बंगले बने हैं वह सरकारी जमीन साडा के तहत कुछ सरकारी कर्मचारियों ने ही अपने नाम करवा ली थी। निर्माण कार्य करवाते समय इस तथ्य को भी नहीं देखा गया। ऐसे में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कानूनी दांव-पेंच भी शुरू हो सकते हैं।
&करीब एक करोड़ रुपए से तैयार बंगलों में कुछ खामियां हैं। इन्हें पूरा कराया जा रहा है। पानी निकासी और साफ-सफाई की व्यवस्था के साथ ही सडक़ निर्माण का भी प्रस्ताव है। यह काम पूरे होने के बाद उनमें शिफ्ट होने पर विचार किया जाएगा।
अमरसत्य गुप्ता, आयुक्त, ननि, मुरैना

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