इस बार शहर में राखी की तकरीबन एक सैकड़ा छोटी-बड़ी दुकानें सजी हैं। तो लगभग डेढ़ सौ हाथ ठेलों पर भी शहर के विभिन्न हिस्सों में राखियां विक्रय के लिए उपलब्ध हैं। सदर बाजार में कुछ लोग जमीन पर फड़ लगाकर भी राखियां बेच रहे हैं। राखियों का बड़ा कारोबार करने वाले राधेश्याम बंसल बताते हैं कि इस बार भी रक्षाबंधन तक हरेक बड़ी दुकान पर 50-60 हजार रुपए तक की राखियां बिक जाएंगी। वहीं प्रत्येक हाथ ठेला व्यवसायी भी 30 हजार रुपए तक का कारोबार कर लेगा। इस तरह दुकानों पर लगभग 60 लाख और हाथ ठेलों पर तकरीबन 45 लाख रुपए की राखियां इस बार बिकेंगी। थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे मान लिया जाए तो रक्षाबंधन तक राखियों का कारोबार लगभग एक करोड़ रुपए का रहेगा। दुकानदारों का कहना है कि इस बार बाजार अपेक्षाकृत ठीक है। पिछले आठ दिन से ही राखियों का विक्रय शुरू हो गया है। आने वाले दो दिन यह व्यवसाय चरम पर रहने की संभावना है।
कुल कारोबार 3 करोड़ का
मुरैना शहर में जहां इस बार एक करोड़ से अधिक की राखियां बिकेंगी, वहीं जिलेभर में यह कारोबार तीन करोड़ तक पहुंच सकता है। व्यवसायियों के मुताबिक जिले के अन्य शहरी इलाकों में भी 30-40 लाख रुपए तक की रखियां आसानी से बिक जाएंगी। उल्लेखनीय है कि रक्षाबंधन के बाद भी जन्माष्टमी तक शहर में राखियों की बिक्री चलती है।
दूर-दूर से आती हैं राखियां
भाइयों की कलाई पर सजने के लिए यहां राखियां देश के दूर-दराज इलाकों से मंगाई जाती हैं। कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि मुरैना के व्यवसायी कोलकाता, दिल्ली, आगरा, कानपुर, ग्वालियर तक से राखियां मंगाते हैं। राखियां समय पर पहुंच जाएं, इसलिए महीनाभर पहले ही इनके ऑर्डर निर्माताओं की ओर भेज दिए जाते हैं।
150 रुपए तक कीमत
इस बार शहर की दुकानों पर अधिकतम 150 रुपए तक की राखी विक्रय के लिए उपलब्ध है। व्यवसायी राधेश्याम बंसल ने बताया कि सबसे कम कीमत में एक रुपए का रेशमी धागा है, इसके बाद विभिन्न तरह की फैशनेबल राखियों की कीमत अलग-अलग रखी गई है। हालांकि सर्वाधिक बिक्री 10 से 20 रुपए वाली राखियों की होती है।