नगर निगम द्वारा देवरी गोशाला पर महीने में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन खर्च के हिसाब से गोशाला में जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रही हैं। गोवंश की देखरेख के लिए जो कर्मचारी वहां तैनात किए गए हैं वह सिर्फ अपनी ड्यूटी करते हैं, अगर इनके अंदर सेवाभाव जुड़ जाए तो गोवंश की देखरेख अच्छे से हो सकती है। वर्तमान में करीब दो हजार गोवंश है लेकिन उसके लिए खाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं। सूखी कुटी उनके सामने डाल दी जाती है, उसमें पानी की छिडक़ाव करके दाना डाल दिया जाए तो उनका भेट भर सकता है लेकिन कुटी डालने के बाद भी कोई देखने वाला नहीं हैं। ऐसा नहीं हैं कि दाना है नहीं, पर्याप्त दाना स्टॉक में रखा है लेकिन यह कर्मचारियों की लापरवाही है। बीमार गोवंश के वार्ड में जिस तरह कुटी को पानी से भिंगाकर उसमें दाना डाला जाता है अगर यही व्यवस्था अन्य गोवंश के लिए हो जाए तो उसको ठीक से खा सकती हैं। भरपेट खाना नहीं मिलने पर गोवंश की हालत बहुत खराब है। गोशाला परिसर में हुई बैठक में आयुक्त ने भी बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन वे सब धरे के धरे रह गए।
देवरी गोशाला परिसर में गोवंश के लिए हरे चारे की व्यवस्था वहीं पर हो सके इसके लिए दान दाताओं की मदद से 15 बीघा जमीन की तार फेसिंग कराई गई और एक महीने पहले लोहे के गेट लगाने के लिए पूरा सामान भी वहां पहुंच गया लेकिन अभी तक गेट तैयार नहीं हो सके हैं। चार गेट तैयार होने थे, इनके तैयार होते ही पूरी जमीन कवर्ड हो जाती है और उसमें लूसन बोया जा सकता था। लेकिन अभी तक गेट तैयार नहीं हो सके हैं। पिछली साल दान में जो त्रिपाल दी गई थी, उनका भी कोई अता पता नहीं हैं।
16 कर्मचारियों तैनात परंतु आधे ही पहुंचते हैं ड्यूटी पर गोवंश की देखरेख के लिए 16 कर्मचारी नगर निगम ने देवरी गोशाला पर तैनात किए हैं, लेकिन इनमें से मुश्किल से आधे ही पहुंचते हैं। इनमें दो कर्मचारी मुरैना में अटैच कर दिए हैं। एक कर्मचारी पूर्व पार्षद के यहां बताया गया है। गोसेवा के लिए तैनात कर्मचारियों को अन्यंत्र तैनात करने से गोशाला की व्यवस्थाएं गड़बड़ा रही हैं। जो कर्मचारी वहां तैनात हैं, वह काम कम मॉनीटरिंग ज्यादा करते हैं। अगर वह अपना काम ईमानदारी से करें तो काफी व्यवस्थाएं सुधर सकती हैं।
टेंडर भूसा का और भेजी जा रही कुटी गोशाला में रह रहे गोवंश के लिए नगर निगम ने जो टेंडर किया है, वह भूसा का किया है। चूंकि भूसा इस समय महंगा है और कुटी सस्ती है इसलिए भूसा की रेट पर ठेकेदार द्वारा कुटी सप्लाई की जा रही है। कुटी भी बारीक नहीं हैं मोटी काटी गई इसलिए गोवंश को खाने में नहीं आ पा रही है। यह सब नगर निगम की मिली भगत से हो रहा है।
यहां ये भी दिखी लापरवाही द्द बड़े गोवंश के बीच छोटे गोवंश विचरण कर रहे थे, जो खनोटे ऊंचे होने के कारण चारा नहीं खा पा रहे थे। वहीं छोटे बछड़े बड़े गोवंश की लड़ाई में चोटिल भी हो सकते हैं। इनको अलग वार्ड में भेजकर उनके चारा की व्यवस्था की जा सकती है।
द्द कुछ ऐसे गोवंश जो शरीर से कमजोर होने पर एक ही जगह बैठे रह गए उनको कौआ काट रहे थे, उनको देखने वाला कोई नहीं था। अगर इनको बीमार गोवंश वाले वार्ड में कर दिया जाए तो उनका उपचार हो सकता है।
द्द बीमार गोवंश वाले वार्ड एक गोवंश बाहर निकल गया जो कमजोर स्थिति में होने के कारण पत्थर पर गिर गया, वहीं पर पड़ा था, उसके मुंह से खून निकल रहा था। द्द होदियों में पानी ओवरफ्लो हो रहा था, उस जल श्रोत को बंद करने की आवश्यकता किसी कर्मचारी न महसूस नहीं की।
द्द गोशाला में तीन दिन पूर्व एक गोवंश कोई किसान छोड़ गया है, उसके पैर में रस्सा बंधा हुआ था, उससे गोवंश का पैर कट रहा था और उससे खून निकल रहा था लेकिन कर्मचारियों का ध्यान नहीं हैं।
& त्रिपाल कल दानदाताओं से आ रही हैं, उनको लगवा दिया जाएगा। यह बात सही है कि टेंडर भूसा का है लेकिन कुटी दानदाताओं ने भिजवा दी है, उसमें दाना डाला जा रहा है। एक ट्रॉली में दो कट्टा दाना डाला जा रहा है। लेवर की कमी हैं और गोवंश आए दिन बढ़ रहा है। जो लेवर है, उससे ही काम चला रहे है।
परमानंद शर्मा, प्रभारी, देवरी गोशाला