पुलिस और नगर निगम के वाहनों से धारा 144 लागू होने और बहुत जरूरी न हो, घर में ही रहने की उद्घोषणा के बावजूद लोग सड़कों पर निकले। इसके बाद पुलिस ने डंडे बरसाना शुरू किए। वहीं, सभी प्रमुख रास्तों को बैरीकेडिंग करके रोक दिया गया है।
पुलिस ने ओवरब्रिज चौराहा, हनुमान चौराहा, स्टेशन रोड, एमएस रोड, गोपीनाथ की पुलिया, बैरियर चौराहा, कोर्ट रोड मोड़, स्टेडियम के सामने, सहित एक दर्जन स्थानों पर बैरीकेडिंग करवाई। एसडीएम आरएस वाकना, सीएसपी सुधीर सिंह कुशवाह, टीआई कुशल सिंह भदौरिया के साथ चल रहे पुलिस जवानों ने भ्रमण के दौरान अनावश्यक आते-जाते लोगों को न केवल टोका, बल्कि रोका भी।
आने-जाने का उचित कारण न बता पाने पर, उन पर डंडे भी चलाए। आवश्यक वस्तुओं के सामान की दुकानें भी दोपहर तक ही खुलीं, उसके बाद बंद करवा दी गईं। दोपहर में खुली दुकानों को भी पुलिस ने बंद करवाया।
प्रारंभिक जांच करने पहुंचे टीम मुरैना. बागचीनी थाना क्षेत्र के ल्होरीपुरा में मुंबई और दिल्ली से दो युवकों के आने की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रारंभिक जांच के लिए गांव में पहुंची। हालांकि कोई लक्षण नहीं दिखे, लेकिन फिर भी एहतियात बरतने को कहा गया है। टीम ने बरसेनी, ताजपुर और भवनपुरा में भी आधा दर्जन युवकों के आने की खबर पर जांच की।
पुल के हिस्से को उखाड़ फेंका गोठ. उत्तरप्रदेश के आगरा जिले से लगने वाली सीमा पर अंबाह में चंबल के उसैदघाट के पांटून पुल से तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों का आना-जाना बंद नहीं हुआ है। यूपी सरकार के लोक निर्माण विभाग ने सोमवार को कुछ पट्टे निकालकर दीवार बना दी थी, लेकिन लोग फिर भी आते-जाते रहे।
इसे देखते हुए मंगलवार को पुल के एक हिस्से को ही उखाड़ दिया गया है। वहीं, अंबाह और उसके आसपास के क्षेत्रों में राजस्थान और सुमावली के क्षेत्रों में महाराष्ट्र से कई युवक आए हैं। इनकी कहीं भी जांच नहीं हुई है। अंबाह में कुथियाना और ऐसाह घाट पर नाव के माध्यम से लोगों का आना-जाना है।
मुरैना. लॉक डॉउन के दौरान पुलिस से अलग-अलग विवाद की स्थिति निर्मित हुई। शहर की गोपीनाथ पुलिया पर सीएसपी सुधीर सिंह कुशवाह, शहर कोतवाल कुशल सिंह भदौरिया पुलिस फोर्स के साथ गश्त पर थे, तभी एक युवक स्कूटर से निकला उसको पुलिस ने रोका तो उसने पुलिस को देख लेने की धमकी।
कुछ ही देर में एक जनप्रतिनिधि के भाई को लेकर पहुंचा। नेताजी के भाई ने पुलिस से बोला, आपको लड़के को डंडा नहीं मारना था, फिर क्या था पुलिस ने उक्त महाशय की वही सेवा की, जो समर्थक की पुलिस ने की थी। पुलिस ने दोनों को थाने ले जाकर बंद कर दिया।
वहां से एक आर्मी मेन को दो बार निकलने दिया तीसरी बार फिर आ गया। पुलिस ने उससे कड़ाई से बात की तो वह पुलिस से उलझ गया। पुलिस ने कुछ देर कोतवाली में बैठाने के बाद उसे छोड़ दिया।