ऐसे हालात में पीडि़त की हिम्मत जवाब दे जाती है जिसका फायदा दबंग और आपराधिक प्रवृति के लोग उठाते हैं। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी किसी को न हो, वरन शिकायतें और प्रस्ताव बनाकर भी भेजे गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से गांव के लोगों को न्याय पाने के लिए ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
विसंगति के कारण टेंटरा में शामिल
अटार व बाबड़ी गांव चंबल नदी के पास बसे हुए हैं। यह गांव सीमांकन की विसंगति के चलते 26 किलोमीटर दूर टेंटरा थाने में शामिल कर दिया। जबकि सबलगढ़ थाना मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर है। खास बात यह कि ये गांव और दोनों थाने सबलगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत ही आते हैं। पत्रिका से अपना दर्द साझा करते हुए गांव के लोगों ने बताया कि संचार व्यवस्था बेहतर होने के बाद से वारदात या घटना की सूचना तो तत्काल पुलिस को दी जाने लगी है। लेकिन थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सोचना पड़ता है।
थाने जाने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती हैं
अटार-बावड़ी गांव के लोगों को पहले बस पकडकऱ सबलगढ़ तक पहुंचना पड़ता है। इसके बाद वहां से दूसरी बस में बैठकर टेंटरा जाना पड़ता है। ऐसे में एक तरफ से ही करीब डेढ़ घण्टा लग जाता है। यही हालात पुलिसिंग के लिए भी परेशानी का कारण बने हुए हैं। अपराधी को पकडऩे के लिए पुलिस बल को आने जाने के लिए भी कई बार सोचना पड़ता है। कई बार तो पुलिस की सूचना मिल जाने पर अपराधि भाग जाते हैं। लोगों का कहना है कि यदि संबंधित क्षेत्र में एक पुलिस चौकी खोल दी जाए तो भी कुछ राहत मिल सकती है।
विधायक सबलगढ़ बैजनाथ कुशवाह ने कहा, थाना क्षेत्र का सीमांकन ऐसा होना चाहिए, जिससे जरूरत के वक्त लोग पुलिस से संपर्क कर सकें। अटार-बावड़ी के लोगों को इस परेशानी से निजात दिलाने का प्रयास करेंगे।
टेंटरा थाना प्रभारी संजय सिंह किरार ने कहा, यह सही बात है कि अटार और बावड़ी की थाने से दूरी अधिक होने के कारण पुलिसिंग प्रभावित होती है। गांव के लोग भी इस वजह से परेशान होते रहे हैं। लेकिन यह विषय उच्च अधिकारी व शासन स्तर का है।