मुरैना. महीनों तक चली कड़ी ट्रेनिंग के बाद नव आरक्षकों ने अपने-अपने प्रशिक्षण केन्द्रों से घर जाने की तैयारी कर रखी थी, लेकिन दो अप्रैल को बिगड़े हालात ने उन्हें परिजन से मिलने नहीं दिया। शहर में ऐसे सैकड़ों जवान हैं जो लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति में ड्यूटी के लिए बुलाए गए हैं। वे हर पल सोच रहे हैं कि कब हालात सामान्य हों तो वे अपने घर की ओर रवाना हों।
भारत बंद के दौरान हुए उपद्रव के बाद हालात को नियंत्रित करने के लिए पीटीएस पचमढ़ी, रीवा व तिघरा से अनेक नवआरक्षकों को यहां बुलाया गया है। इनमें से अधिकांश जवानों का प्रशिक्षण मार्च के अंत में ही पूरा हुआ था। पासिंग आउट परेड के बाद ये जवान घर जाने की तैयारी में थे। तभी उन्हें मुरैना जाने का फरमान मिला। तीन अप्रैल को ये जवान मुरैना आए थे, तब से वे निरंतर यहां तैनात हैं। गर्मी के मौसम में पिछले एक पखवाड़े से ड्यूटी कर रहे अधिकांश जवान अब घर जाना चाहते हैं। वे सोच भी रहे हैं कि जब से वे यहां आए हैं, तब से कोई भी अप्रिय घटना देखने को नहीं मिली। तो फिर क्यों उन्हें यहां रोककर रखा गया है, लेकिन नई-नई नौकरी है, इसलिए वे अपने मन में उठ रहे सवालों को जाहिर नहीं कर पा रहे हैं।
रोज 16 घण्टे की ड्यूटीलॉ एण्ड ऑर्डर की ड्यूटी पर बाहर से बुलाए गए जवान प्रतिदिन 16 घण्टे की ड्यूटी कर रहे हैं। शहर में एक प्वाइंट पर तैनात जवान ने अनाधिकृत तौर पर बताया कि रोज सिर्फ 8 घण्टे का रेस्ट मिलता है। बाकी 16 घण्टे गर्मी और धूप झेलते हुए सड़कों पर गुजर रहे हैं। जवानों का कहना है कि परेशानी तो हो रही है, लेकिन उनका
काम ही यही है तो करना ही पड़ेगा।
रोज बन रहे 2000 लंच पैकेटशहर में ड्यूटी कर रहे बाहर के जवानों के लिए रोज 2 हजार लंच पैकेट बनवाए जा रहे हैं। बताया गया है कि इस समय बाहर के तकरीबन साढ़े नौ सौ जवान यहां हैं। इसके अलावा कभी इधर-उधर का फोर्स आने पर यह संख्या बढ़कर 1100 से अधिक हो जाती है। इस हिसाब से प्रतिदिन औसतन एक हजार लंच पैकेट सुबह और इतने ही शाम को बनवाए जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक तीन अप्रैल से लेकर अब तक जवानों के भोजन पर ही तकरीबन 20 लाख रुपए खर्च हो चुका है।
कथनबाहर से बुलाए गए जवानों को अभी 18 अप्रैल तक यहां तैनात रखा जाएगा। इसके बाद उनकी वापसी पर कोई निर्णय होगा।
आदित्यप्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक, मुरैना