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स्थगन के बाद भी नियम विरुद्ध दिया प्रमोशन व प्रतिनियुक्ति

locationमोरेनाPublished: Jun 19, 2020 08:54:24 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

आधा सैकड़ा कर्मचारियों ने बर्खास्तगी के बाद लिया था कोर्ट से स्टे- संयुक्त संचालक शिक्षा ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी कर मांगी वर्तमान स्थिति

स्थगन के बाद भी नियम विरुद्ध दिया प्रमोशन व प्रतिनियुक्ति

स्थगन के बाद भी नियम विरुद्ध दिया प्रमोशन व प्रतिनियुक्ति


मुरैना. शिक्षा विभाग में आधा सैकड़ा कर्मचारी ऐसे हैं जो शासन से बर्खास्तगी के बाद कोर्ट से स्थगन लिए हुए हैं। उसी दौरान विभाग ने नियम विरुद्ध प्रमोशन, क्रमोन्नति, प्रतिनियुक्ति दे दी गई जबकि स्थगन में जब तक यथा स्थिति रहती है जब तक मामले में कोई निर्णय नहीं हो जाता। इन कर्मचारियों को प्रमोशन व प्रतिनियुक्ति कैसे मिली, इस संबंध में संयुक्त संचालक शिक्षा ग्वालियर ने जिल शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी कर वर्तमान की स्थिति चाही गई है।
विदित हो कि हजारेश्वर हायर सेकेंडरी स्कूल श्योपुर वर्ष १९९५ में सरकारी हुआ था। उस स्कूल के स्टाफ में आधा सैकड़ा से अधिक लोग मुरैना के भी थे। स्टाफ की सूची लंबी थी। स्टाफ के हिसाब से स्कूल बिल्डिंग सहित अन्य सुविधाएं नहीं थीं। इसलिए सरकार ने पूरा स्टाफ मान्य नहीं किया था। उनमें से ५६ लोग न्यायालय में चले गए और उन्होंने यह हवाला दिया कि जो लोग लिए गए हैं, उनकी योग्यता कम हैं और विषयमान से नहीं हैं। कोर्ट के आदेश पर वर्ष २००८ में पुन: छानबीन समित बनाई गई। करीब ३५ लोगों को पात्र माना और १०३ को अपात्र मानकर वर्ष २००९ में सेवा से पृथक कर दिया। इसमें आधा सैकड़ा लोग मुरैना के हैं। इन १०३ लोगों ने न्यायालय से स्टे ले लिया। उधर शासन ने इनकी स्टे के खिलाफ रिट पिटीशन न्यायालय में लगाया। न्यायालय ने उसको भी २०१६ में खारिज कर दिया। इन कर्मचारियों की नौकरी को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर आज तक सामने नहीं आ सकी है। ये संदिग्ध परिस्थितियों में नौकरी कर रहे हैं। खास बात यह है कि न्यायालय से यथा स्थिति मिलने पर पूर्व में जिस पद पर थे, उसी पर रहकर नौकरी कर सकते हैं। लेकिन ये लोग पदोन्नति, क्रमोन्नति और प्रतिनियुक्ति पर भी रह चुके हैं। इस संबंध में संयुक्त संचालक शिक्षा ग्वालियर ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी कर यह जानकारी मांगी गई कि न्यायालय में स्थगन के बाद इन कर्मचारियों को लाभ किस आधार पर दिया गया और वर्तमान में इन कर्मचारियों की क्या स्थिति है।
व्याख्याता के पद पर जमें हैं थर्ड डिग्रीधारी
न्यायालय ने पांच ऐसे व्याख्याता जो थर्ड डिग्री होल्डर थे, उनको अपात्र मानकर चार को यूडीटी और एक को प्रयोगशाला सहायक माना था लेकिन ये पांचों लोग आज भी व्याख्याता के पद पद नौकरी कर रहे हैं और वर्षों से व्याख्याता का वेतनमान ले रहे हैं। अगर भविष्य में फैसला स्पष्ट होता है तो शासन इनसे पैसे की रिकवरी कर सकता है।
कोई बीआरसी तो कोई रह चुका है प्राचार्य
न्यायालय में यथा स्थिति के बाद भी कर्मचारियों ने अधिकारियों से सांठगांठ करके शासन को अंधेरे में रखकर खूब लाभ लिया है। कोई बीआरसी और कोई प्राचार्य तो कोई हैडमास्टर तक का सफर तय कर चुके हैं। इनकी क्रमोन्नति, पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति में जिन अधिकारियों ने मलाई खाई, वह भी सरकार की नजर में हैं, उनके खिलाफ भी आगामी समय में कार्रवाई हो सकती है।
कथन
– कर्मचारी बर्खास्तगी के बाद कोर्ट से स्थगन ले चुका है और उस मामले में शासन स्तर से सुनवाई नहीं हो जाती तब तक क्रमोन्नति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति सहित अन्य लाभ नहीं ले सकता।
आर के शर्मा, सेवानिवृत्त प्राचार्य, शासकीय उत्कृष्ट उमावि मुरैना
– हजारेश्वर के कर्मचारी जो मुरैना में पदस्थ हैं, उनका मामला न्यायालय में चल रहा था तो उनको जो लाभ मिले हैं, वह नहीं मिलना चाहिए। हम दिखवा रहे हैं। आखिरकार कहंा चूक हुई है।
सुभाष शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना
– हजारेश्वर स्कूल के १०३ कर्मचारी हैं, उनमें श्योपुर व मुरैना दोनों जिलों में पदस्थ हैं। हमने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर वर्तमान की स्थिति की जानकारी चाही है।
अरविंद सिंह, संयुक्त संचालक शिक्षा, ग्वालियर

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