कई सालों तक किराए की यही दर चलती रही। लेकिन कुछ समय पहले रेडक्रॉस सोसायटी ने इन दुकानों का किराया बढ़ाने का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा। सोसायटी ने प्रस्ताव में किराया 1000 रुपए महीना करने की बात कही थी। 500 रुपए मासिक किराया वसूल करने की स्वीकृति दे दी। इसके बाद रेडक्रॉस सोसायटी ने यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
यही वजह है कि दुकानदारों से अभी तक बढ़े हुए किराये की वसूली शुरू नहीं हुई है। सभी दुकानदार अभी भी महज 150 रुपए किराये का ही भुगतान रेडक्रॉस सोसायटी को कर रहे हैं। ऐसे में दुकानों से महज छह हजार रुपए की मासिक आय रेडक्रॉस सोसायटी को हो रही है।
तीन साल से नहीं हुई बैठक
पोरसा में रेडक्रॉस सोयायटी की बैठक भी पिछले तीन साल से नहीं हुई है। इस वजह से कई जरूरी निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। पदाधिकारियों का कहना है, जब बैठक होगी, तभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फैसला हो सकेगा। इसके अलावा खराब पड़ी एंबुलेंस की मरम्मत कराने और इसका संचालन फिर से शुरू कराने का निर्णय भी बैठक न हो पाने के कारण नहीं हो पा रहा है।
दूसरों को दे दी हैं किराये पर
रेडक्रॉस की दुकानें जिन लोगों को अलॉट की गई थीं, उनमें से कुछने तो इन्हें दूसरे लोगों को किराये पर उठा रखा है। जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता। दुकान अलॉट करते वक्त यह शर्त रखी गई थी, कि कोई भी व्यक्ति इन दुकानों का उपयोग खुद ही करेगा, दूसरों को किराये पर नहीं दे सकेगा और न ही बेच सकेगा।कुछ लोग इन्हें किराये पर उठाकर अधिक भाड़ा वसूल कर रहे हैं। सचिव रेडक्रॉस सोसायटी अरुण गुप्ता ने बताया कि रेडक्रॉस सोसायटी की मीटिंग नहीं हो पा रही है। कई बार एसडीएम से कहा भी है, वे अध्यक्ष हैं। लेकिन वे समय नहीं दे पा रहे हैं। यही वजह है कि कई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो पा रहे हैं।