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रिश्तेदार लेकर आए वोट, तब बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को निकाला

locationमोरेनाPublished: Aug 03, 2021 10:18:49 pm

Submitted by:

Ashok Sharma

– प्रशासन का आपदा प्रबंधन फेल, बाढ़ से चारों तरफ कोहराम, तब बंगले से निकले कलेक्टर- बाढ़ में घिरे मटरे के पुरा के लोगों ने स्वयं ट्यूब के सहारे महिला व बच्चों को सुरक्षित निकाला

रिश्तेदार लेकर आए वोट, तब बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को निकाला

रिश्तेदार लेकर आए वोट, तब बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को निकाला


मुरैना. पिछले तीन दिन से चंबल व क्वारी नदी लगातार उफान पर हैं। और कलेक्टर अपने कार्यालय में बैठकों जरिए बाढ़ व आपदा पर नियंत्रण की रूपरेखा बनाते रहे और जब बाढ़ आई तब उनकी प्लानिंग धरी रह गई। मंगलवार को चंबल नदी खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर हो चुकी है। चंबल नदी में पुराने पुल पर पानी आने पर ८९ गांव बाढ़ में प्रभावित हो जाते हैं। जिससे दो दर्जन गांवों में चंबल नदी का पानी पहुंच चुका है। जब बाढ़ में घिरे ग्रामीण स्वयं ही अपने साधनों से अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने लगे तब प्रशासन की नींद खुली और कुछ स्थानों पर सरकारी संसाधन पहुंचाए लेकिन तब तक काफी ग्रामीण अपने स्तर से नदी पार कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच चुके थे।
जौरा विकासखण्ड के ग्राम खिटोरा के काबिल का पुरा में एक सैकड़ा लोग क्वारी नदी की बाढ़ में फंस गए थे। उनको निकालने के लिए प्रशासन बोट तक की व्यवस्था नहीं कर सका। ग्रामीणों ने बताया कि जौरा एसडीओपी मानवेन्द्र सिंह पुलिस फोर्स के साथ सबसे पहले गांव में आ चुके थे लेकिन बोट नहीं होने से रेस्क्यू नहीं चलाया जा सका। काबिल का पुरा की कुशवाह परिवार की एक लडक़ी पगारा के पास गांव में ब्याही थी। उसके ससुराल से बोट आई तब उससे एक सैकड़ा ग्रामीणों को एसडीओपी व उनकी टीम ने गांव से बाहर निकाला। वहीं दावा किया जा रहा है कि कलेक्टर व एसपी ने स्वयं खड़े होकर एक सैकड़ा लोगों को निकाला। यह कितनी हास्यास्पद बात है कि बाढ़ को लेकर अभी तक जो तैयारियों का ढिढोरा पीटा जा रहा था, वह हवाई साबित हुआ। काबिल पुरा की व्यवस्थाओं ने प्रशासन की आपदा प्रबंधन की पोल दी है। प्रशासन मीटिंग लेकर व्यवस्थाएं बनाने पर जोर देता रहा, बाढ़ प्रभावित गांवों का पूर्व से दौरा नहीं किया गया। पुलिस अधीक्षक जरूर एक गांव का दौरा कर चुके थे। जबकि कलेक्टर द्वारा सिर्फ पंचायत के जिम्मेदार लोगों के भरोसे ही व्यवस्था छोड़ दी गई। उसी का परिणाम हैं कि कैलारस के बाल्हेरा क्वारी नदी की बाढ़ से घिरे मटरे का पुरा के ग्रामीण रात भर सोए नहीं और न हीं उनकी मदद के लिए प्रशासन पहुंचा। सुबह होने पर स्वयं ही टै्रक्टर के ट्यूब के सहारे अपने बच्चे व महिलाओं को निकालकर लाए और गांव को खाली किया।
चारों तरफ आपदा, कलेक्टर का नहीं उठा फोन
जिले में पिछले तीन दिन से बाढ़ आपदा से लोग घिरे हुए हैं। ऐसी स्थिति में जिले के मुखिया को अलर्ट मोड़ पर रहना चाहिए लेकिन उनका वही पुराना रवैया बना हुआ है। सुबह से उनको कई बार फोन लगाया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया। मुख्यमंत्री स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं कि प्रभारी मंत्री अपने क्षेत्र में अधिक समय दें लेकिन मुरैना में प्रभारी मंत्री की सक्रियता न होने से अधिकारी निरकुंश होते जा रहे हैं। तीन दिन से बाढ़ के हालात बने हुए थे लेकिन कलेक्टर अमले के साथ बंगले से जब निकले हैं तब कई गांव बाढ़ से घिर चुके और ग्रामीण स्वयं अपने संसाधनों से गांव खाली करने लगे। यह खबर मीडिया के जरिए हाइलाइट हुई तब प्रशासनिक अमले के साथ मौका मुआयना करने जिले के मुखिया लाव लश्कर के साथ भ्रमण पर निकले।
बीलपुर, घेर में नहीं पहुंचा प्रशासन, बाढ़ प्रभावितों ने किया पलायन
जिला प्रशासन का आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल होता नजर आ रहा है। बाढ़ से घिरे बीलपुर व घेर गांव में प्रशासन की कोई टीम नहीं पहुंची। प्रशासनिक उपेक्षा को देखेते हुए बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों ने स्वयं ही आशियाने के तलाश में गांव से पलायन कर दिया। यहां ग्रामीणों ने अपना सामान अपनी टै्रक्टर ट्रॉली में रखकर ऊपर से त्रिपाल लगाकर अन्यंत्र सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर दिया है। विडंवना यह है कि पिछले तीन दिन से चंबल का पानी गांव में भर रहा है लेकिन अधिकारियों ने अभी तक सुधि नहीं ली।

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