जिले में दो हजार 607 आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। लेकिन 5 प्रतिशत के पास भी स्वयं के भवन नहीं हैं। किराए के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति अ‘छी नहीं है। यहां न तो हितग्राहियों के बैठने की जगह होती है न सामग्री रखने की। हालांकि अभी तो करीब एक साल से आंगनबाड़ी केंद्र बंद ही चल रहे हैं। कार्यकर्ता और सहायिका घरों पर जाकर ही जानकारी और मनमाने तरीके से लाभ दे रही हैं। मुरैना शहरी परियोजना में 305 आंगनबाड़ी केंद्र और 10 मिनी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन भवन महज 21 बने हैं। इनमें से भी 2-3 जगह आंगनबाड़ी केंद्र किराए के लालच में निजी भवनों में ही संचालित हो रहे हैं।
बताया जाता है कि जिले में बहुत से स्थानों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका ने अपना केंद्र अपने घर में ही संचालित किया हुआ है। पत्रिका टीम ने वार्ड 16 में संचािलत आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 109 को देखा तो वह एक घर में निजी मकान में संचालित है। बाहर कोई बोर्ड नहीं है और न हीं ’यादा लोगों को इसके बारे में जानकारी है। दोपहर में कार्यकर्ता के बारे में बताया गया कि क्षेत्र में भ्रमण पर हैं, लेकिन यह केंद्र निजी भवन में संचालित किया जा रहा है। इसी प्रकार वार्ड 24 में रेलवे स्टेशन के पीछे भी आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक निजी भवन में ही संचालित मिला। आंगनबाड़ी का नाम, नंबर और कार्यकर्ता का नाम सहित जानकारी तो अंकित थी, लेकिन वह भी बंद था।