संत हरिगिरि ने कहा कि यह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर चलने वाला अभियान है। अब अन्य समाजों के लोग भी पंचायतें करें और शराब बंदी का संकल्प लें। पूरे संभाग में चलने वाले अभियान की पंचायतें अब अन्य समाजों से भी हों। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जहरीली शराब कांड से सभी हिला दिया है। यदि शराबबंदी नहीं हुई तो ऐसे हादसे फिर हो सकते हैं, इसलिए शराब पर रोक लगनी चाहिए। संत ने कहा कि सुनने में आया है कि सरकार अब शराब की ऑनलाइन डिलीवरी की व्यवस्था करने जा रही है। दूसरी ओर नशामुक्त मप्र की भी बात की जा रही है, यह कैसे चलेगा। उन्होंने कहा कि गांव के लोग पहले ही यह संकल्प पारित कर दें कि यहां शराब की दुकान नहीं खुलने दी जाएगी।
इसके पहले जिला पंचायत सदस्य हमीर पटेल और वीरेंद्र हर्षाना रांसू ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा वीडी शर्मा सहित प्रदेश और संभाग के सभी दलों के बड़े नेताओं से मिलकर शराब बंदी पर समर्थन मांगा जाएगा। शराब बंदी के लिए अपने स्तर से हर संभव कदम उठाने को कहा जाएगा। इसके लिए दलगत राजनीति से उठने और राजनीति छोडऩे तक की बात कुछ नेताओं ने कही। उन्होंने कहा कि यहां राजनीति नहीं होगी, केवल समाज के उत्थान के लिए शराबंदी पर चर्चा और पहल होगी।
संत हरिगिरि ने कहा कि संतों ने शीतला माता से पदयात्रा की, उनके पैरों में छाले पड़ गए। मानवता के लिए यह पीड़ा हम सहने को हम तैयार हैं। समाजसेवी वीरेंद्र हर्षाना ने सुझाव दिया कि सभी विधायक शराब बंदी का प्रस्ताव विधानसभा में रखें और सरकार को पत्र भी लिखें। कुछ विधायकों ने यह प्रस्ताव दिया है, दूसरे भी पहल करें तो मुहिम को पूरा करने में सफलता मिलेगी। पूर्ण शराबबंदी के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाएं, मावई ने रखा है, इस पर दलगत राजनीति से उठकर चर्चा हो। विष्णु अग्रवाल, गजेंद्र राठौर, दिनेश डंडोतिया, सुषमा जाटव मालनपुर, रणवीर यादव ग्वालियर ने भी अपने सुझाव दिए।
संतों के हर निर्णय में समाज शामिल : चंबल तट पर आयोजित महापंचायत में सर्व समाज ने संत हरिगिरि की मुहिम को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि वे हर निर्णय में शामिल रहेंगे। जो भी निर्णय महापंचायत करेगी और संत आदेश करेंगे, उसका पालन किया जाएगा।
भोपाल में भी महापंचायत का प्रस्ताव चंबल तट पर आयोजित महापंचायत में यह सुझाव भी आया कि जिला और संभाग में महापंचायतों के बाद भोपाल में पांच लोगों को जोडक़र महापंचायत होनी चाहिए। इससे सरकार पर शराबंदी लागू करने के लिए दबाव बनाया जा सकता है।